“कभी गर्मी , कभी सर्दी
कभी बारिशें...
कई सपने , उम्मीदें
अनगिनत ख्वाहिशें
तजुर्बे ,उम्र ,आज़ादियां बंदिशें
कितना कुछ साथ लेकर आया था
सब कुछ लुटा कर गया
तो कुछ अपनों को लूट कर गया
कई यादें बिखेर कर
ये साल भी गया..
जब तक था बुरा कहते रहे हम
खुशियां भी थी लेकिन
गम़ ही गिनते रह गए हम
लेकिन आज जब यह जा रहा है
तो समझ आया किसी से दूर किया
तो ना जाने कितनों से मिलाकर कर गया
सब पुराना हिसाब निपटा के
ये साल भी गया ..
गलतियां हुई होंगी
क्योंकि भगवान नहीं थी मैं
लेकिन किसी को रुठा रखूँ
इतनी भी शैतान नहीं हूं मैं
गुजरा हुआ कल बन जाऊंगी
एक दिन मैं भी तुम्हारा जैसे ये साल बनके गया
थोड़ी नादानियां , थोड़ा प्यार करके
आज ये साल भी गया..||”-
“इतिहास ने बढ़ाया बाबर - अकबर का मान
प्रश्न बस इतना है कि
क्या महाराणा प्रताप नहीं थे महान..??
जलती रही जौहर में राजपूतानियाँ
भेड़िए फिर भी मौन थे
हमें पढ़ाया अकबर महान
तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे..??
रणभूमि पर जहां
हर एक क्षत्रिय भारी पड़ता था
जिस मातृभूमि के लिए
अधमरा शरीर भी लड़ पढ़ता था..
सौंदर्य से पूर्ण रानियों को देखने
कई भेड़िए आए
पर धन्य थी वो राजपूतानियाँ
जिनकी अस्थियां तक छू ना पाए
दुश्मनों को रणभूमि में खेद दिया करते थे
जी हाँ ये वही राजपूत छत्रिय हैं
जो दुश्मनों की बेगम को
माँ कहकर छोड़ दिया करते थे..
अब तो समझो इनका जाप मत करो
सब जानने के बाद भी
महाराणा प्रताप को ना जानने का ये पाप मत करो...||”-
“तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में है..
कौन जानता है जनाब..
जाने किस पल तक..
तू मेरे साथ में है||”-
“मैं हर उस कहानी का प्रारम्भ हूँ ..
जिसका अन्त तुम हो..
मैं रहूंगी तुम्हारी ही शकुन्तला..
जिस कहानी के दुशयंत तुम हो||”-
"बहुत चाहा मगर तुम्हारी याद की आँधी नहीं रुकती
की रातों पहर मेरी ये हिचकी नहीं रुकती
तुम्हारे बिन हमारी याद के बस दो ही किस्से हैं
कभी हिचकी नहीं रुकती, कभी सिसकी नहीं रुकती||"-
उन्हें लगा हम उनके क़रीब थे
उन्हें कहा पता, दूरियां तो दिल में थी ||-
तुम्हे पाने केे लिए ही तुमसे लड़ रहे ...
हम भी न जाने कैसी मोहब्ब़त कर रहे हैं....||-
“ क्यों इस कदर यूँ उसे सताते हो..
क्या सच में कभी..
अपने दिल का हाल तुम उसे बताते हो..
क्यों औरों की बात पर ऐ़तबार करते हो..
खुद अपने प्यार का इक़रार क्यों नहीं करते हो..
अब तो चेहरों को पढ़ना सीखो..
इ़श्क की कलम से तुम भी पैगाम लिखना सीखो..||"-
“ ख़ुदा का अनमोल मिस्स़रा था तू..
मेरी जिंदगी का बेश़क खास हिस्सा था तू..
तकलीफ तो बहुत हुई दूर होकर तुझसे..
फिर भी पास होके पास कहा था तू ||"
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? __ सवाल__?
इस करूणामयी हृदय में
दुःखद ध्वनि बजती है
आखिर क्यों है शोर हृदय में
असीम वेदना गरजती हैं ??
कहीं बिलख रहे लोग
तो कहीं भटक रहे लोग
संकट की इस घड़ी में
एक-एक सांस के लिए
क्यों अटक रहे लोग ??
इतने मंदिर मस्जिद गिरजाघर बनवाएं
संकट की घड़ी में बंद है तेरे दरवाजे
बता ना भगवान तुझे कैसे मनाएं ??
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