आज कोई अंजान दिखा इंसानियत का फरिश्ता था दुर्घटना ग्रस्त बच्ची को फर्स्ट एड देकर चला गया। शायद खुदा ने भेजा उसे। मददगार बना कर भला हो उसका जो इंसानियत का रिश्ता निभा गया।
छोटी सी ज़िन्दगी है यारों जी लो खुल कर यहाँ जाने कब ये वक्त बेवफा हो जाए । कोरोना थमा नहीं है अब तक। ज़िन्दगी थम सी गयी है। पर मौत से क्या घबराना यारों । जियो तब तक,देह में जान है जब तक ।