अपनों को खोने का शौक मानने
या अपनों के अबसेस ढूंढ़ने,
अपनों के संदेश का इंतजार करने
या अपनों को पैगाम भेजने,
ये विराम कैसा है
आंसू पोछने या आंसू रोकने......-
मेरी गुरु भी तुम, और गुरुर भी तुम,
मंजिल भी तुम, और राह भी तुम... read more
बिखरी जुल्फों को समेट लू
आलसी निगाहों को जगा लू
दबे हुए आंचल को लहरा लू
खुद को थोड़ा निहार लू
आज थोड़ा सँवार लू......-
उसके आसमां में बादल छा गई है;
बादलों के आगे उसे जाना है
अपने चांदनी के संग आसमां मैं छाना है,
मेरे चाँद को फिर से आसमां मैं आना है......-
जो बीत गया उन लम्हों को मूड कर मत देखना,
अपनों से मिली धोखे को मूड कर मत देखना,
सच के नकाब के नीचे छिपे फ़रेबी चेहरों को मूड कर मत देखना
यह सफ़र तुम्हारी है तुम आगे बढ़ते रहना.....-
अपने हर सवाल के जवाब ले लो,
तुम्हे जो शिकायत थी उसे दूर कर लो
अनकही अल्फाजों के पन्नों से अपना जबाव चुन लो,
एक बार सुन लो.......
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कहीं मुस्कुराने की वजह है
तो कहीं गम छिपाने की आस है,
कहीं चेहरे में चमक की झलक है
तो कहीं आंखों की नमी है,
एक चम्मच आशा
कभी जिंदगी की मजा देती है
और कहीं सांस को बचा देती है.....-
जब दर्द अपने देते है
और अपने कुरेद ते हैं,
जब ज़ख्म कच्चा होता है
और उसे छेडते रहते हैं,
दर्द तब भी होता है
जब अपना साया ही साथ
छोड़ देता है.....
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प्रेम को कोई पैसा से तोल ता है
तो कोई कीमती तोहफा से नाप ता है,
प्रेम को ना तोला जाता ही ना ही नापा जाता है
प्रेम तो बस सादा फूल की मासूमियत
से भी जताया जाता है.......-