साथ होने पर साथ वक्त जाया करना दोस्ती नही होती,
कोसो दूर होने पर भी व्यस्त होंने के बाबजूद अपने साथी को वक्त देना दोस्ती कहलाता है !
साथ गुहम्ने वाले खुशियों में शामिल होने वाले दोस्त नही हुआ करते, जिन्हे आप कैसे हो के जवाब में बहुत शानदार की जगह अपने मन का कोहलाहल सुना सके वही दोस्त होते है !
जिनसे बातें महीनो में हो और झूठे हाल चाल पर खत्म हो जाए,
जिनसे बात करने उनकी इजाजत की जररूत पड़े वो दोस्ती नही, पर जिन्हे रात के 2बजे ही क्यों न याद करो, और सो रहे थे क्या के जवाब में नही नही तुम बताओ कैसे याद किया सुनाई दे बस यही दोस्ती है !
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