Deepesh Gopaliya  
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थोड़ा वक्त मिला तो पलटकर देख लिए...
अल्फ़ाज़ जो बंद थे एक अरसे से
#dumb_poet
Joined 14 November 2017


थोड़ा वक्त मिला तो पलटकर देख लिए...
अल्फ़ाज़ जो बंद थे एक अरसे से
#dumb_poet
Joined 14 November 2017
19 DEC 2020 AT 23:52

मुझसे मिलने मेरे शहर आ जाओ....
बहुत हुई सूरज की शामे , इस बार चाँद तुम बन जाओ....

मेरे जैसे कई और लोग भी होंगे शायद तुम्हारे पास....
मेरे पास एक ही चाँद है ये आकर तुम सबको बतलाओ....

आफरीन सी है मुस्कान तुम्हारी , मेरे हिस्से की मेरे पास ही छोड़ जाओ...
बहुत हुई रूहानी इश्क़ की चाहत , अब करीब आकर सीने से लग जाओ....

मुझे कोई तोहफा मत दो तुम....
बस एक दिन मैं आंख खोलू और तुम तस्वीर से बाहर आकर खड़े हो जाओ....

बहुत हुई रूहानी इश्क़ की बाते , इस बार चाँद बनकर सीने से लग जाओ।

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17 NOV 2020 AT 13:35

एक अजनबी से मुलाक़ात आज हो रही है....
चुपके चुपके सारे शहर में अब हमारी ही बात क्यों हो रही है....

सुना है उसके आंखों से होता है नशा गज़ब का...
उससे मिलने की बेताबी क्या इसलिये ही मुझे हो रही है...

सुना है उसके शहर में काफी कम लोग रहते है...
धीरे धीरे क्या भीड़ उसे देखने को ही जमा हो रही है...

सुना है वो तितलियों की तरह सिर्फ दिन में निकलती है....
क्यों ये रात आज इतनी जल्दी खत्म हो रही है....

सुना है उसके चेहरे पर चाँद सा नूर है....
क्या इसलिये ही हमारे घर मे चाँदनी आज भरपूर हो रही है....

सुना है उसे गुलाब हर दिन मिला करते है...
क्या इसलिए ही शहर में फूलों की कमी हो रही है....

सुना है अपने दिल की बातें वो सिर्फ अपनो को बताती है...
तो फिर क्यों उसकी सारी बातें वो मुझे बताये जा रही है।

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3 NOV 2020 AT 19:58

देखो आज छत पर उस चाँद को एक चाँद खुद तक रहा है , कितना गलत वो ये हमारे साथ कर रहा है...

बैठा है खुद दूसरे शहर में , और वही से क़त्ल वो अपनी आंखों से कर रहा है....

चेहरे पर बाल आ रहे है उसके बार-बार , वो पीछे उन्हें क्यों ख़ुद अपनी ही उँगलियों से कर रहा है....

होश में हूँ वैसे तो मैं आज , पर जाम पीने का अब ना जाने क्यों मन कर रहा है....

उसकी आँखों का ये जादू ना जाने क्यों आज इतना असर कर रहा है....

वो आज कुछ बेचैन सा लग रहा है...
क्यों वो मेरे इक़रार का इंतजार इस क़दर कर रहा है....

देखो आज छत पर उस चाँद को एक चाँद खुद तक रहा है |

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26 OCT 2020 AT 21:47

मेरे शोक मुझे भी हैरान कर जाते है....
ना जाने क्यूं मुझे हर शाम तेरी ही गली में लाते है....

तू खिड़की पर होगी उस शाम भी , बस यही सोच कर हम अपना दिल बहलाते है....

तुम रात को छत पर जो आती हो , आसमाँ में दो चाँद हर बार नज़र आते है...

तेरी पाज़ेब की आवाज़ में मेरी नींद ना जाने क्यूं खुल जाती है...

मेरे इश्क़ को कुछ इज़हार तुमसे भी चाहिये , मेरे दिल को कुछ लम्हे प्यार के तुम्हारे संग चाहिये।

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20 AUG 2020 AT 18:56

उसकी आंखें दस्तूर-ए-हाल बयां करती है...
सुना है उसकी आंखों को मोहब्बत आती है...

उसकी गीली जुल्फे चाँद से मिलकर चाँदनी फैलाती है...
सुना है उसके बालो को चाँद रिझाना आता है..

उसकी चुन्नी के छांव में आकर पेड़ो पर फल आ जाते है...
सुना है वो अक्सर अपना चेहरा चुन्नी से ढका करती है...

उसकी छत पर होने वाली शाम ज़रा कुछ पल ठहर कर होती है...
सुना है उसकी आँखों को ढ़लते सूरज के रंग बड़ा भाते है...

सुना है उसकी आँखों को मोहब्बत आती है।

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6 AUG 2020 AT 1:11

मुद्दत्तो बाद फिर एक बार मिले है जैसे किसी रात को मनपसंद चाँद मिले है....
जमाने को शायद है कुछ ख़बर तभी तो मेरे हाल-ए-दिल के कुछ जानकार मिले है...

तुम्हारी ही तस्वीरों को निहार रहा हूँ कुछ दिनों से मैं....
मेरे जहन में तेरे ही लम्हे दिलकश कुछ यार मिले है...

तेरी और मेरी एक मुलाक़ात मुक़्क़म्मल करने को देख ना जाने कैसे तुझे आये कुछ ख्वाब मिले है।

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24 JUL 2020 AT 23:04

बहुत गहरी ये रात है शायद....
सुबह काफी दूर लग रही है।

मैं ही अकेला जागा हूँ इस रात की पहेली को सुलझाने या कोई और भी उलझा सा है इस उलझन में।

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12 JUL 2020 AT 22:17

दूसरे शहर में रहता है वो शख्स फिर भी पास लगता है....
मुझे उस्से है जो मोहब्बत उसी का है ये शायद जो एहसास लगता है....

उसी पर लिखी है सारी नज़्में मेरी....
मेरे महबूब मुझे तुम्हारा प्यार ना जाने क्यों इतना पाक लगता है....

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8 JUL 2020 AT 22:29

कुछ ख्वाब तेरी आँखों के उसी शहर में छोड़ आया हूँ...
खुद ही हूँ बेवफ़ा , ये अफवाह वहाँ की हवा में घोल आया हूँ ...

मुकद्दर के साथी थे हम दोनों....
कुछ मुलाकाते अब मुक़द्दर पर ही छोड़ आया हूँ....

ये आबो हवां मुझे रास क्यों नही आती....
तेरी खुशबू ना जाने इस नये शहर क्यों ले आया हूँ...

तेरे अक्स के कई लोग होंगे यहां भी...
मगर तेरी ही सीरत पर मैं कई बार जान वहाँ भी लुटा आया हूँ....

खुद ही था मैं बेवफा , ये अफवाह वहाँ की हवा में घोल आया हूँ ।

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5 JUL 2020 AT 0:23

कुछ लिखे हुए लफ़्ज़ों की कहानी तुमसे कहनी है....
एक पल को मेरे करीब आओ , हमारे इश्क़ की निशानी तुमको देनी है....

कमबख्त ये दूरियां ही क्यूँ मिली है हम दोनों को...
जो हमारे हिस्से की थी बातें , वो बातें तुमसे कहनी है...

मिलना था एक दूसरे से इश्क़ के लिए हमे...
जो मिले है कुछ पल साथ भर के , उसमे इजहार की चन्द रस्मे तुमसे करनी है।

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