वो करते है शिकायत हर एक शिक्वो की, ना मंजूर उन्हें वो खुदा हो जाए। सेहमा हुआ है ज़ख्म हर उस शरारत की, हमारी सुनाए तो इक उमर बीत जाए। दर्द काटे हैं हर ख्वाब हर मोहब्बत की, ज़िक्र करदे अगर! तो इश्क़ हो जाए।
किस्तों मैं बिखरी है जिंदगी, अब इश्क की डोर को बुना दे तू। दुनिया की बेदर्दी से वाकिफ हूं, अब जीने की आस को मिटा दे तू। मुद्दतो से गुज़री है ज़िन्दगी, ख़ुदा ! अब माँ की गोद मैं सुला दे तू।
दर्द बिखरा है शहर में, मे मुस्कान समेटे चल रहा हूं। दिल की ख्वाहिश फलक से, रब से मिलने जा रहा हूं। ख्वाबों को सड़क के किनारे कर, रात में खुद को ढूंढ रहा हूं। होकर मलंग ज़िन्दगी संग, अब मौत से रिश्ता निभा रहा हूं।
लोग इश्क करते है लोगों से, हमने ख्वाबों से इश्क किया है। कुछ अधूरे तो कुछ मुकम्मल किया है। ना छेड़ो इन ज़ख्मो को अश्कों से, हमने बड़ी शिद्दत से इन्हे महसूस किया है।