Deepanshi Bhardwaj  
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Explore emotion by words
Joined 5 June 2019


Explore emotion by words
Joined 5 June 2019
11 APR 2021 AT 12:29

I'm laying under the sky
Trying to gather all the shiny stars
One by one everyone is falling
What I've only the empty jar.

I'm trying to knot shattered thoughts
But emptiness hugged me tight
I got lump in my throat,
howling air makes my eyes dry.

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30 MAR 2021 AT 23:03

मुद्दतों लगे एक घोंसला बनाने को,
एक गलत तिनके ने घरौंदा उजाड़ दिया।।

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30 MAR 2021 AT 18:51

एक पानी की बूंद, हाय! क्या ही जीवन?
मिट्टी में दबे बीज़ पे गिरे, तो नया ही जीवन।
प्यासे को मिल जाए, तो अमृत सा जीवन।

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28 MAR 2021 AT 15:48


I'm waiting for you like
Stars waiting for a moon in the new moon night.


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22 MAR 2021 AT 22:30

तुम्हारी खामोशी वहीं समझ सकता है
जिसे तुम्हारी परवाह हो।



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22 MAR 2021 AT 19:29

ढूँढती हूँ खुद को
तेरी लिखी हर बात में...
उलझा सा पाती हूँ खुद को
अपने ही सवाल में...
इसी कशमकश में
वक़्त गुज़र सा जाता हैं मेरा...
की क्या तुम भी याद करते हो
मुझे इस तन्हा रात में...

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22 MAR 2021 AT 18:51

मैंने तस्वीरों में तुम्हें सम्भाल रखा है...
क्या तुमने भी मेरे खतों को सजा रखा है?

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21 MAR 2021 AT 18:00

कुछ पल आँखे नम कर के
यादें तो धुंधली कर ली...
क्या रेखाएं चीर के साथ भी मिटा दिया?





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21 MAR 2021 AT 14:01

गिरफ्त में क़ैद पंछी
पिंजरा खुला देख कर भी
घर जाने का साहस नहीं जुटा पाता।

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20 MAR 2021 AT 14:01

पंछी मैं पिंजरे की
खुले गगन में उड़ना चाहूं
पंख कैद हैं जाल में मेरे
घुट घुट नीर बहाउ

करहु मैं बंद दीवारों में
बोल मेरे कोई सुन ना पाए
जब दिखु सयानी मैं सबको
दाम मेरे हर कोई लगाए

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