I'm laying under the skyTrying to gather all the shiny starsOne by one everyone is fallingWhat I've only the empty jar.I'm trying to knot shattered thoughts But emptiness hugged me tight I got lump in my throat, howling air makes my eyes dry. -
I'm laying under the skyTrying to gather all the shiny starsOne by one everyone is fallingWhat I've only the empty jar.I'm trying to knot shattered thoughts But emptiness hugged me tight I got lump in my throat, howling air makes my eyes dry.
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मुद्दतों लगे एक घोंसला बनाने को, एक गलत तिनके ने घरौंदा उजाड़ दिया।। -
मुद्दतों लगे एक घोंसला बनाने को, एक गलत तिनके ने घरौंदा उजाड़ दिया।।
एक पानी की बूंद, हाय! क्या ही जीवन?मिट्टी में दबे बीज़ पे गिरे, तो नया ही जीवन।प्यासे को मिल जाए, तो अमृत सा जीवन। -
एक पानी की बूंद, हाय! क्या ही जीवन?मिट्टी में दबे बीज़ पे गिरे, तो नया ही जीवन।प्यासे को मिल जाए, तो अमृत सा जीवन।
I'm waiting for you likeStars waiting for a moon in the new moon night. -
I'm waiting for you likeStars waiting for a moon in the new moon night.
तुम्हारी खामोशी वहीं समझ सकता है जिसे तुम्हारी परवाह हो। -
तुम्हारी खामोशी वहीं समझ सकता है जिसे तुम्हारी परवाह हो।
ढूँढती हूँ खुद को तेरी लिखी हर बात में... उलझा सा पाती हूँ खुद को अपने ही सवाल में... इसी कशमकश में वक़्त गुज़र सा जाता हैं मेरा... की क्या तुम भी याद करते हो मुझे इस तन्हा रात में... -
ढूँढती हूँ खुद को तेरी लिखी हर बात में... उलझा सा पाती हूँ खुद को अपने ही सवाल में... इसी कशमकश में वक़्त गुज़र सा जाता हैं मेरा... की क्या तुम भी याद करते हो मुझे इस तन्हा रात में...
मैंने तस्वीरों में तुम्हें सम्भाल रखा है...क्या तुमने भी मेरे खतों को सजा रखा है? -
मैंने तस्वीरों में तुम्हें सम्भाल रखा है...क्या तुमने भी मेरे खतों को सजा रखा है?
कुछ पल आँखे नम कर केयादें तो धुंधली कर ली...क्या रेखाएं चीर के साथ भी मिटा दिया? -
कुछ पल आँखे नम कर केयादें तो धुंधली कर ली...क्या रेखाएं चीर के साथ भी मिटा दिया?
गिरफ्त में क़ैद पंछी पिंजरा खुला देख कर भी घर जाने का साहस नहीं जुटा पाता। -
गिरफ्त में क़ैद पंछी पिंजरा खुला देख कर भी घर जाने का साहस नहीं जुटा पाता।
पंछी मैं पिंजरे की खुले गगन में उड़ना चाहूं पंख कैद हैं जाल में मेरे घुट घुट नीर बहाउ करहु मैं बंद दीवारों में बोल मेरे कोई सुन ना पाए जब दिखु सयानी मैं सबको दाम मेरे हर कोई लगाए -
पंछी मैं पिंजरे की खुले गगन में उड़ना चाहूं पंख कैद हैं जाल में मेरे घुट घुट नीर बहाउ करहु मैं बंद दीवारों में बोल मेरे कोई सुन ना पाए जब दिखु सयानी मैं सबको दाम मेरे हर कोई लगाए