एक मुसव्विर खयालों में खामोश,
लोग महफिल का लिहाज़ समझ बैठे।
मयस्सर मिज़ाज मेरा यूं मुझे मसरूफ़ रखता है,
तख़य्युल में खोने को इख़्लाज़ समझ बैठे।।-
Compliments are beautiful if there were no if
If you lose some weight you will look beautiful,
If you apply some makeup you will look beautiful,
If your complexion were fair you will look beautiful,
If there were no marks on your face you will look beautiful.
Why can't they say "You're beautiful" without if.-
विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में,
केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में।
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❣Agape❣
Attractive was you, akrasia was me;
Glorious was climate & heart was calm & free.
Unlimited admiration for you was a divine affection;
You are loved by my heart & hold adoration.
Love will on highest peak when you give bisous on my chin;
Our soul can feel each other with loving câlin.
Various flowers & papillon's touch make me remind of you;
Efflures by you attached us stronger than any glue.
Shivering sounds of your breath makes me blush;
Delirious heart fasts and cheeks become red due to rush.
Elegance of yours make me fall from head over heel;
Eternal process of love started & makes us feel.
People may call it attraction but its all about devotion;
Agape may be the word which define our relation.
Love felt when you came in my heart to rage many wars;
I want to be the one to heal your all scars.-
"पल्लवित बसंत"
प्रफुल्लित हुए हैं पुष्प,
जैसे पृथ्वी ने किया श्रृंगार,
चटक रही हैं कलिया लाल,
जैसे चमक रहा अँगार।
चहक रही हैं चिड़िया,
संगित-सुस्वर हैं चारों ओर,
महकती हुई ये नई कोपलें,
करती सुगंधित बसंत भोर।
रंग बिरंगे फूल खिलें हैं,
प्रकृति बनी है आज वधु,
और सुगंध जो वायु लहर में,
करती है मन कोमल मधु।-
अनुच्छेद और अनुसूचियों में लिखी तक़दीर थी,
2 वर्ष 11 माह 18 दिन में बनाई भारत की तस्वीर थी।
सम्प्रभुतासम्पन्न , पंथनिरपेक्ष,गणराज्य बनाती उद्देशिका,
स्वपन पुरा एक समाजवादी, लोकतांत्रिक देश का।
उस नींव से 470 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ हुई उपजित,
और वो देश ग्रंथ हुआ 25 भागो में विभाजित।
देश के स्वर्णिम भविष्य को करता मार्गदर्शित,
कर रहा देश के गणतन्त्र में योगदान अगणित।
भारत गणराज्य का सर्वोच्च लिखित विधान हुआ,
26 जनवरी को ही प्रभावी अपना संविधान हुआ,
तो
आज के दिन गणतन्त्र हुआ देश हमारा,
लागू संविधान हुआ,
देश बना अखंड, अक्षुण्ण,
सुनिश्चित सबका सम्मान हुआ;
अब कर्तव्य हमारा है देश अपना हो विकसित,
हर व्यक्ति सबल हो और हर बालक हो शिक्षित।-
आज के दिन गणतन्त्र हुआ देश हमारा,
लागू संविधान हुआ,
देश बना अखंड, अक्षुण्ण,
सुनिश्चित सबका सम्मान हुआ;
नमन करें उनको जो कर्तव्य पथ पर कुर्वान हुआ,
याद करें हर वीर को जो '57 से संविधान तक बलिदान हुआ।
चाहे गूंजी मंगल की ललकार,
चमकी जब रानी की तलवार;
हुआ था जब भगत का प्रहार,
खौफ में थी ब्रिटिश सरकार।
गाँधी के अहिंसा के पद चिन्ह,
हो सुभाष की आज़ाद हिंद;
सबका इसमें हुआ योगदान
तब जाके हुआ भारत महान ।
आये सेवा में हो तत्पर अनगिनत देशभक्त हुए,
प्राण देने से भी किंचित भयभीत ना उनके रक्त हुए।
जब संग्राम की ज्योत हुई प्रज्वालित प्रखर,
स्वतन्त्र भारत की तस्वीर कुछ आयी निखर।
आये लिखने भारत के इतिहास में एक नया शिखर,
कुछ जिनमें राजेंद्र,जवाहर, पटेल और अंबेडकर।
किया प्रण के स्वतन्त्र भारत को अब सवारना है,
देशवासियों के भाविष्ये को निखरना है
हो तैयार आये सजाने देश के अस्तित्व को,
नमन करते हैं ऐसे उत्साहजनक व्यक्तित्व को।
कुछ चाहिए अब ऐसा जो देश को हो बांधता,
देश के विकास और समृद्धि को हो साधता।
चुनी सभा फिर ऐसी जिसने करके विचार,
लिखे कर्तव्य से लेकर मौलिक अधिकार।-
श्री राम आये हैं,
संग अपने कुछ प्रण भी लायें हैं,
जीवन में अब रघुकुल की रीत निभानी होगी,
संवेदनशीलता हर व्यक्ति को आचरण में लानी होगी,
पुरषोत्तम बन, धर्मशास्त्र की ज्योत जलानी होगी,
हर राह पर स्वयं को मर्यादा याद दिलानी होगी।
हो माता-पिता की आज्ञा तो वनवास भी जाना होगा,
प्राण भले बलिदान हों पर वचन निभाना होगा।
जो किया उपकार कोई, उसका हो कृतज्ञ ऋण उतारना होगा,
जिस केवट ने तारा नदिया पार, उसे भवसागर तारना होगा।
भेद-भाव ना हो कोई, व्यक्तिव सवारना होगा,
सबरी के खाकर बेर, हर अभिमान त्यागना होगा।
हो सर्वश्रेष्ठ भी अगर फिर भी साथ मांगना होगा,
कर मित्रता सुग्रीव से उसे राज दिलाना होगा।
संगनी सीता से विरह व्यथा को भी सहना होगा,
कष्ट अपने हृदय का स्वयं से ही कहना होगा।
सागर पार जाने के लिए भक्ति से मार्ग मांगना होगा,
मिले मार्ग नहीं तो शक्ति से धनुष- बाण साधना होगा।
बंध नागपाश में कभी तो अभिमान हारना होगा,
फिर कर नाश रावण का स्वयं सम्मान जीतना होगा,
हो प्रेम भले ही अनंत लेकिन प्रजामत मानना होगा,
हो प्राण जिसमे बसे उस सीता को भी त्यागना होगा।-
भरकर उड़ान फिर भी पंख अपने फेलाकर,
बिना साथ माँगे उसने हिम्मत अकेले करकर,
ऊँचाईयो को छूता किस्मत से अपनी लड़कर।
खुद कर्मो से अपने उसने,
आसमान से रिश्ता बनाकर ,
छु कर ऊंचाई सारी,
फिर लौटा नहीं वो घर,
शायद उस पाखी की किस्मत में,
उड़ना ही लिखा था।-
There is a beauty in being a teacher..
Simple things gives you happiness...
Like your students doing good in exams..
Like your students getting high marks. ..
Like seeing their exam full of things you taught to them...
And list goes on...-