अब वो अच्छा समझे या बुरा
उस पर मेरा ज़ोर नही क्योंकि
जिसने जो पाया मुझसे
वो मान लिया मुझे
अब उनकी जरूरतों ने उन्हे बताया
मैं अच्छा हूँ या बुरा मैंने नही।।-
वो शख़्स भी कितना खूबसूरत होगा,
जिसने रूप से ज्यादा रूह को सवारा होगा।।-
वो महज़ एक लड़की नहीं, मैंने उसमे एक परिंदा देखा है।
दिखने में आजाद है वो ,पर जमाने की बंदिशों में जकड़ते देखा है।
उड़ना चाहती है वो ऊंचे आसमान में, पर उसकी दुनिया को मैंने चार दीवारी के पिंजरे में सिमटते देखा है।।-
तू ख़्याल ही अच्छा था
तेरे होने से तो तेरा ना होने का
मलाल ही अच्छा था।।-
बस तेरी खामोशी का ही फांसला है।
हां जो कह दे तो में मरना छोड़ दूं ,
ना जो कह दे तो मैं जीना छोड़ दूं।।-
ये खुदा की ही इनायत है,
भले वो चाहतें पूरी नहीं करता,
पर जरूरतें तो करता है।-
चाहे ज़िन्दगी की किताब से अतीत के पन्नों को
फ़ाड़ के फेंक दो पर उसकी जगह तो रह ही जाती है।।-
वो दौर भी कुछ और था...
ना जिस्मों की प्यास थी, ना जात बिरादरी की दीवार,
ना गलतफहमियों की दरार थी, ना अश्कों की बौछार,
जहां रिश्तों कि कदर थी और थी अपनों कि दरकार।।-
कितना आसानी से तुम अपने दिल की बातों को शब्दों में बयान कर उसे बहला लेते हो ना,
हमें तो आज भी आंसुओं का ही सहारा लेना पड़ता है।।-
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