नव वर्ष में नव नेति से , नेमि पर आधार कर लो
तुम जरा-सा वंचितों को देख करके प्यार कर लो
उपहार लाखों लुट रहें हैं घुल रहे हैं जाम में
तुम भला एक दस रुपये से नेह का व्यापार कर लो
चढ़ रहे हो तुम हवेली खूब ईश्वर हो सहायक
पर जरा-सा सामने उस झोपड़ी पर प्यार कर लो
पश्चिमी आकार से तुम बढ़ रहे हो ठीक सब है
पर जरा-सा खुद के घर में तुम जरा आकार कर लो
साल पूरा कट गया है, देह भी इस वार में है
गम पुराना छोड़ दो तुम, फिर नया व्यवहार कर लो
(नेति=अनंतता), (नेमि=पृथ्वी) (देह=शरीर)
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