"ख़ूबसूरत तबाही"
मोहोब्बत और बेवफ़ाई थी,
मत पुछो की कैसी तबाही थी,
हम यहाँ चाय को पूछते रह गए थे,
और वो पूरी बोतल पिके आई थी।
नशा था कुछ उसकी आँखों में,
मदहोसी उसकी साँसों में,
हम बेकाम होके उसकी बक-बक सुनते रहे,
कुछ तो ऐसा था उसकी बातों में।
उसकी इश्क़ में कुस ऐसी अय्यारी थी,
जहा मौत से मिलने की पूरी तैयारी थी,
आँखों में पट्टी बांध के चलते थे,
कुस ऐसी मती हमारी मारी थी।
खबर थी की वो ज़हर का प्याला है,
पर फिरभी इस जुबान को उसे पीना था,
उसकी यादों के शहर में,
ना जानें क्यों इस दिल को उमर भर जिना था।.
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