DEEPAK   (दीपक _देहलवी)
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Joined 17 August 2018


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Joined 17 August 2018
19 APR AT 21:46

1222-1222-1222-1222
कभी फरहाद कर डाला कभी फ़रियाद कर डाला
तुझे पाने की चाहत में ये दिल बर्बाद कर डाला

ये दिल क्या चीज़ ख़ातिर आपकी मैं जान भी दे दूं
ये सुन के तेज़ उसने खंजर ए बेदाद कर डाला

तेरे अहद ए सितम में और क्या-क्या है ये पूछा तो
सितमगर ने सितम इक और नया ईजाद कर डाला

मुबारकबाद है 'दीपक' सितमगर ने मोहब्बत में
कोई सीधा सरल बंदा ग़ज़ल-उस्ताद कर डाला

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16 APR AT 15:35

221-2121-1221-212
है दिन ढला अभी अभी तो रात बाक़ी है
मुंह मोड़कर न जाओ अभी बात बाक़ी है

इक पल का मिलना भी कोई मिलना हुआ सनम
तुझको दिखाना गर्मी ए जज़्बात बाक़ी है

दिल चाहता है देखना बस देखना तुम्हें
लगता हमेशा दिल को मुलाक़ात बाक़ी है

भरते हैं आह चांद सितारे भी देखिए
बस आंसुओं की आंखों से बरसात बाक़ी है

'दीपक' नहीं ख़बर कि उन्हें है कि है नहीं
दिल में हमारे शिद्दत ए फिक़रात बाकी है

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8 APR AT 14:52

221-2121-1221-212
बे-मतलबी सी दौड़ में हल्कान कर लिया
ख़्वाबों को ख़ुद ही ख़्वाब ए परेशान कर लिया

हर तरफ़ है दिखावा दिखावे में देखिए
बे-फ़ालतू का घर में था सामान कर लिया

वसलत के दौर पीछे बहुत पीछे छोड़ के
क्यों ज़िंदगानी को शब ए हिज़्रान कर लिया

अच्छे-भले थे जब थी ज़रूरत बहुत ही कम
झूठी-हवस में दिल को बियाबान कर लिया

'दीपक' सुखी वो आदमी जिसने ज़हान में
मालिक के नाम का ज़रा-सा ध्यान कर लिया

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7 APR AT 20:50

221-2121-1221-212
मां-बाप की जो सेवा करें, ज़िंदगी उन्हें
रखती हैं दूर दुनिया की दश्त ए बलाओं से

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4 APR AT 12:29

221-2121-1221-212
दुनिया की रोक-टोक की परवाह मत करो
तुम ज़िंदगी को खुल के जियो आह मत करो

तारीफ़ खुल के हो जो कोई शेर हो पसंद
और ना-पसंद हो तो अरे -वाह मत करो

हैं छोटी-छोटी बात में ख़ुशियां छुपी हुईं
हद से ज़ियादा मांगने की चाह मत करो

मज़बूर हो कोई जो मोहब्बत की राह में
उसको कभी भी राह से बे-राह मत करो

अपनी तो ज़िंदगी का यही फ़लसफ़ा रहा
जम के निभाओ दोस्तों से डाह मत करो

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3 APR AT 11:08

221-2121-1221-212
ग़म या ख़ुशी हो कुछ भी मुसलसल नहीं रहे
ग़म क्या जो तेरा ख़्वाब मुकम्मल नहीं रहे

हर आदमी का देखिए क़िरदार है अलग
गो नीम, नीम ही रहे संदल नहीं रहे

जो भावनाओं को दबा के आदमी जिए
फैला कुहांसा ही रहे बादल नहीं रहे

इक आदमी हताश हो कहता है बस यही
अच्छे रहे जो प्यार में पागल नहीं रहे

'दीपक' ये इश्क़-विश्क सही रहता है तभी
जब दिल में कोई वहश्त ए मक़्तल नहीं रहे

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2 APR AT 21:17

1222-1222-1222-1222
मेरा क्या हाल होता है तुम्हारी याद आने पर
कभी चिंगारी सूखे पत्तों पे गिरते हुए देखो

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2 APR AT 11:36


अल्हड़ नदी सी नाचती मुटियार ना समझ
जीना करे है प्यार में दुश्वार नासमझ

जाने कशिश है कौन सी शम्मा की राह पे
परवाना आग में हुआ मिसमार नासमझ

जो अक्ल से चले वो हुए प्यार में तबाह
सच्चा वही है प्यार जो हो प्यार नासमझ

उसके नसीब में रहे धोखे फ़रेब ही
मिल जाए जो खिलाड़ी को दिलदार नासमझ

दिल में उठी ही आंधियों का ज़िक़्र है सनम
तू दिल की आग को मेरे अश्आर ना समझ

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1 APR AT 21:22

221-2121-1221-212
था दर्द दिल में चांद के गहरा तमाम रात
और चांदनी पे रात का पहरा तमाम रात

अल्फ़ाज़ बोलते रहे ख़ामोशियों में भी
बन के था सोया आस्माॅं बहरा तमाम रात

शहनाइयों की गूंज में लैला हुई विदा
छाने है मजनूॅं ख़ाक़ ए सहरा तमाम रात

तेरी दिवाली रोज़ मनेगी पिया के संग
किस्मत में मेरी जलता दशहरा तमाम रात

'दीपक' जिएगा ज़िंदगी तेरी ही याद में
दिल में बसा के ख़्वाब सुनहरा तमाम रात

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31 MAR AT 15:14

221-2121-1221-212
लहरें मोहब्बतों की छुपाए नहीं बना
और दर्द आशिक़ी का दिखाए नहीं बना

कोशिश हज़ार की है तुझे भूलने की पर
नाकाम हसरतों को दबाए नहीं बना

हद से ज़ियादा टीस बढ़ी शेर लिख दिए
जब दिल से तेरा दर्द उठाए नहीं बना

किसने किया है हसरतों को आपकी तबाह
सब ने कहा बता दे बताए नहीं बना

रूठी रही है ज़िंदगी 'दीपक' से उम्र भर
और चाह कर भी हमसे मनाए नहीं बना

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