आपकी जीवन लीला अपरंपार है मोहन,
आपके जन्म की लीला, माता पिता का प्रेम दिखलाती है,
बचपन मे जो खेल है खेले मित्रों का प्रेम दिखलाती है,
यमुना जी को कालिया नाग से मुक्त कर शीतल उनका जल किया,
गोवर्धन पर्वत ऊँगली पर उठा, गोकुल का आपने उद्धार किया,
अपनी मुरली के मधुर तांन से, सबका मन पावन किया,
गोकुल की गलियों मे माखन लूटा, माखन चोर नाम कहाया,
यशोदा माँ ने जब देखी चोरी, ममता के प्रेम से उन्हे मनाया,
गोपियों संग राश रचाया,ग्वालों संग मिलकर गौ माता का प्रेम पाया,
सबको निस्वार्थ भाव और निश्चल प्रेम का पाठ पढ़ाया,
ओ मेरे गिरधर, मुरली मनोहर, कृष्ण कन्हैया, नटवर नागर,
सुदामा जैसो मित्र पायो, मीरा सी दरस की दीवानी,
कंस मामा का वध कर, मथुरा नगरी का उद्धार किया,
बरसो से कैद रही, माँ और बाबा को, अपने बेटे का प्यार दिया,
महाभारत के युद्ध मे अर्जुन को विश्वव्यापी गीता का ज्ञान दिया,
खुद उनके शार्थी बन, धर्म के युद्ध मे पांडवो का उद्धार किया,
कितना लिखूँ मोहन, आआपकी लीलाओं का मोहन,
ना उसका कोई पार है, आपकी शरणजो भी आया उसका हुआ उद्धार है।
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