Sayon ki talash mein dhoop ki nigrani karti hai
Meri ek dost aesi bhi hai jo zid bahut karti hai.-
सायें खो गए है दीवारे दोपहर की धूप ढूंढ़ती है
ये मेरा कमरा कही जा भी नहीं सकता,
रह-रहकर किताबो में अपनी कहानी ढूंढ़ता है…
तस्वीरे दरारो और किलो के निशान छिपा-छिपाकर थक गयी है
इन तस्वीरो में दबी यादे,
खिड़कियो से आती हवाओं में अब साँसे ढूंढ़ती है….
सायें खो गए है दीवारें दोपहर की धूप ढूंढ़ती है …
ये आइना, ये स्टडी टेबल और अलमारी में रखे कपडे
रोके बैठे हैं वक़्त को वही का वही,
अब ये उदासी रिहाई का मौका ढूंढ़ती है…
सायें खो गए है दीवारें दोपहर की धूप ढूंढ़ती है …
पर्दो के फरेब में एहसास उलझे-उलझे है
ये एहसास इन पर्दो को सरकाने वाले हाथ ढूंढ़ते
सायें खो गए है दीवारें दोपहर की धूप ढूंढ़ती है …
ये मेरा कमरा कही जा भी नहीं सकता,
रह-रहकर किताबो में अपनी कहानी ढूंढ़ता है…
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Palat kar varkho ko woh baar-baar dekhti hai,
Ye khyaal ki uske likhe afsaano mein uske kho jaane ka koi suraag mil jae…
Magar uske likhe sabhi qirdaaro mein uska hi aks tha,
Har ek qirdaar uljha-uljha tha
Har ek qirdaar khoya-khoya tha.-
Ghar se nikal kar kaam par jaana
Aur kaam se ghar lautna
Is beech jo milti hai
Use kahaniya kehte hai.-
मौसम भी सभी हार जाते है तुझे मनाते-मनाते
एक तू है जो मौसम में मौसम बदलने को कहती रहती है,
कविताएँ सभी फ़िज़ूल रधी बनकर एक कोने में पड़ी है
एक तू है जो उनमें भी तुक और तालुक ढूँढती रहती है,
मैं सुभों से लग जाता हूँ शामें पकड़ने में
एक तू है की देर हो रही है कहकर हर शाम चली जाती है,
सफर कट जाते अगर तेरा हाथ थाम लेते पर
तू हाथ को यूँ झटकती है जैसे तेरी मेहँदी बिगड़ जाती है,
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मायने रखते थे कभी गुलाब देने वाले के हाथ…
जज़्बातों की कदर एक लम्बी कहानी हुआ करती थी,
दस रुपए के गुलाब में प्यार की पंखुड़ियाँ काफी थी…
जिनकी महक पुरानी डायरी में महका करती थी,
मेरे दोस्त मोहब्बत मैंने भी की थी…
मोहब्बत हमेशा से इतनी भी महंगी नहीं हुआ करती थी.-
गुलकंद बिखर रही है बातों में तेरी...
तूने होंठ पर क्या खूब गुलाबों का रंग चढ़ाया है।-
मोहब्बत फिर से घुल रही है हवाओं में...
मेरे यार ने कुछ ऐसे गर्दन पर इत्र सजाया है ।-
आधी सुखी-गिली ज़ुल्फ़ों की तेरी नमी और इनमें उलझी बूँदो को तेरा झटकना...
तेरी लिए तो ये सिर्फ़ सुभा ही थी
पर मेरा तो माशाल्लाह पूरा दिन बन गया...-
टूटा ज़रूर हूँ पर बिखरा नहीं,
मैं तुझे दिल लुभाने वाला लगता हूँ,
जा अबसे तेरा दिल लुभाना छोड़ दिया .
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