अंधेरा हूं मैं।
सूरज उगलता हूं,
तारे निगलता हूं,
समय को बाहों में
लिए मैं चलता हूं।
अंधेरा हूं मैं।।-
Chahte na the unhe to saamne baithe rehte the,
Aaj chahne lage hai to jaane kahan chale gaye...........
Milte na the to woh intezaar karte the,
Aaj hum intezaar karte hai,
Aur woh! Jaane kahan chale gaye.......
Saundhi si hawaon mein woh jab lehrake aate the,
Ajeeb si muskurahat humare hoton pe rakh ke jaate the.
Aaj muskuraate hai to bahaar dhundla jaati hai.
Aati hai toh bass unki yaad! Aur woh!! Jaane kahan chale gaye...— % &-
बाक रिकामे, धाक रिकामे,
पाशंकुषाचे अवाक रिकामे,
किती बांधले किती सिमटले
भरभरून ओतून सांडून दिधले,
मीथ्याच्या या चक्रा भोवती
मनाचे हे चाक रिकामे...
प्रत्यंचे वर काय चढवतोस
अज्ञानाचे पिनाक रिकामे!
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सवाल का सवाल से
सवाल पे सवाल है
सवाल का बवाल है
सवाल ही बवाल है
बस कुछ पूछ लो किसी से
हर तरफ यही हाल है!-
तुझे पाने की खुशी है,
तुझे खोने का डर भी है,
कहते तो है डर के आगे जीत है; पर,
मुझे जीतना नहीं हैं,
हार जाना हैं!
वो सच किस काम का जो तुझसे ही जुदा कर दे,
जब तू ही मैं हूं, तो प्लीज यार, अब मुझे ही खुदा कर दे।-
ख़ुद ही ख़ुद सवाल हो,
खुद ही खुद हो जवाब;
और अंदर झांक लो थोड़ा,
खुद ही खुद पाप हो,
खुद ही ख़ुद हो सवाब!-
सच उजागर है या अंधेरा,
खुशी सच है या दुखो का डेरा
जो हो बैठे है हम उसके ही,
वहीं इश्क हैं, क्या तेरा क्या मेरा!-
ऐसा नहीं के आस छोड़ दी हैं;
बस खुद की खोज में,
तेरी तलाश छोड़ दी है।-
अकेले रहने कि खुशी,
पर तेरे बिछड़ने का ग़म,
तन्हाई में तन्हा नहीं थे,
महफ़िल में बहुत तन्हा है हम।-