आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
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( कवि )Poet
मेरा जन्म राष्ट्र के नाम 👇👇
मैंने तो कई ख्वाब को पास... read more
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश
हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो-
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम, आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें !
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शान्त हूँ शब्द रहित हूँ
अनजान हूँ
खुद से सीख रहा हूँ जीने का सलीका
इस तह तक जाने के बाद भी आज
नादान हूँ.......-
बचपन खो दिया
उसके कोई गम नही ....
उसके साथ सुकून वाला रविवार खो दिया
उसका अन्तिम सांस तक गम रहेगा-
नारी! तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास-रजत-नग पगतल में
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो
जीवन के सुंदर समतल में
देवों की विजय, दानवों की
हारों का होता-युद्ध रहा
संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित
रह नित्य-विरूद्ध रहा
आँसू से भींगे अंचल पर
मन का सब कुछ रखना होगा
तुमको अपनी स्मित रेखा से
यह संधिपत्र लिखना होगा
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मुझे उनका न जाने क्यों बेसब्री से इन्तजार है
उन्ही पर यह सारा जहान उनकी महफ़िल मे बारम्बार है-
अगर कोर्ट की यचिका में
मेरा किस्सा अपवाह की तरह
दायर न होता...
वो वेवफा न होती और मै
खुदगर्ज शायर न होता..-