DEEPAK THAKUR   (Deepak Thakur)
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Joined 25 August 2020


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Joined 25 August 2020
18 OCT 2021 AT 21:05

वक़्त गुज़रता गया दिन ढलते रहे
मायने रिश्तों के पल-पल बदलते रहे
कुछ को कोशिश की संजो कर रखने की
कुछ हाथों से फिसलते रहे
बेख़बर था मैं अपनों के इन चेहरों से
न जाने कब और कैसे रिश्तों के लहजे बदलते रहे

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23 AUG 2021 AT 20:04

जाने दिया तुझे तेरी
खुशियों की ख़ातिर
किसी और के संग
अब भी मेरी इस मोहब्बत की
आजमाइश करोगे क्या

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23 AUG 2021 AT 17:40

इंतजार "तेरा" ही रहेगा
अगले जन्म भी इस दिल को
बस वफा "तुम" भी दिल से निभाना
समझ गया दिल ये मेरा भी अब
"तुम्हें" दुआ में माँगा हैं
इस जन्म किसी और ने
बस अगले जन्म "तुम"
मेरी दुआ बन कर कबूल हो जाना।

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7 JUN 2021 AT 19:11

कुछ ज़ख्मों की कोई उम्र नहीं होती
ताउम्र साथ चलते हैं जिस्म खाक होने तक

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25 MAY 2021 AT 23:56

रास्ते भी हंसते हैं
मेरे वजूद पर
जिस तरह उसका
इंतजार करता हूं मैं

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20 MAY 2021 AT 12:39

बूंदे ये बारिश की
अक्सर याद उसकी दिलाती हैं
कुछ मैं भीग जाता हूं
कुछ आंखें भीग जाती हैं

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6 MAY 2021 AT 17:11

मोहब्बत आजकल
ढके हूए सिर से शुरू होकर
उतरे हुए कपड़ों पर खत्म होती हैं
जो करता है दिल से
उसे मुकम्मल कहा होती हैं
जनाब ये दस्तूर है आजकल का
कदर जज्बातों की नहीं अब
ये मोहब्बत हवस मिटाने वाले को
नसीब होती हैं

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5 MAY 2021 AT 19:13

सलीका-ए-जिन्दगी
यहां चलना भी है गिरना भी है
उठ कर फिर से संभलना भी है

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4 MAY 2021 AT 22:15

कश्तियां तो बहुत चलती हैं मजधार में
कुछ डूब जाती हैं लेकिन होते है
होंसले बुलंद जिस कश्ती के
उसे ही होता है किनारा हासिल

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1 MAY 2021 AT 11:11

वो भी एक दौर था
जो गुजर गया
गमों की क्या औकात है
बस सब्र रख़ बन्दे

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