13 APR 2019 AT 10:44

शेर हूँ शाकाहारी खाया नही कभी।
ये स्वभाव है मेरा बदलेगा न कभी।।

लेकिन बेवजह कुछ नहीं करता कभी।
लेकिन वजह है तो रुकता नहीं कभी।।

जैसे ये कविता कौंधी मन मे अभी।
वक़्त ज़ाया ना किया और लिख दिया अभी के अभी।।

अंदर वाला शेर दिख नहीं रहा होगा अभी।
कुछ दिनों के लिए सुलाया है जागेगा कभी।।

खूंखार शेर अंदर ही है कही।
फिलहाल बस बकरे की चमड़ी ओढ़ रखी।।

- Deepak Singh Negi