Deepak Singh Negi   (Deepak Singh Negi)
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Theatre artist
Aspiring Actor
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Negid3821@gmail.com

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Joined 4 December 2018


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4 APR 2022 AT 21:27

मैं, संपूर्ण समझता हूँ
इस पंक्ति में ही दोष है.....!

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28 SEP 2021 AT 22:10

कुछ, कोशिश कर लेनी चाहिए,
बरसों के रिश्तों को बचाने की।
कहीं, कोई टीस न रह जाए,
कि कोशिश नहीं की.....!

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28 SEP 2021 AT 10:04

हमारी तुम्हारी उम्र का एक नौजवान,
देश सर्वप्रथम रखता था वो नौजवान
हम तुम क्या बराबरी करेंगे उस वीर की,
जो था धधकते शोलों सा गतिमान।
वो कहता, बचाना चाहते हो देश की आन,
तो क्रांति ही है एक मात्र समाधान।
चाहता तो वो भी करता हालात संग समझौता,
पर वो पगला था यार नौजवान।
और साथ ही साथ उस माँ को भी सलाम,
जिसने किया अपना लाल वतन को क़ुर्बान।

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18 SEP 2021 AT 20:25

विचारों की वर्षा के बीच,
मेरा बचपन खड़ा है।
एक पल कट्टी दूसरे पल दोस्ती,
दिल बचपन का बड़ा है।
क्यों नहीं चुभती थी बातें तब,
अब चुभने की वजह क्या है।
ये बचपन बड़ा नायाब है
बड़े होने ने दिया क्या है।
थोड़ी अनबन होती नहीं कि
फ़ासला आना रिश्तों में पक्का है।
अकड़ होना ज़रूरी है , बिल्कुल
विनम्रता समाज समझता कहाँ है।
परंतु अकड़ रिश्ता ख़त्म कर दे,
इस अकड़ का फ़ायदा क्या है।
वक़्त रहते समझ लो यार,
सही और ग़लत क्या है।
क्योंकि वक़्त को अगर समझाना पड़े,
तो बता दूँ, वक़्त बहुत बुरी बला है।

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3 FEB 2021 AT 11:06

हमेशा यही रही बात कि अपने
से मदद हो जाए किसी की,
अब इसे भोलापन कह लीजिए
या मेरी बेवकूफ़ी......!

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31 JAN 2021 AT 11:05

जो मन नहीं कहता,करना पड़ेगा,
इन साँसों को यूँ ही चलना पड़ेगा।

ग़लती से देख लिया उसका मैसेज,
बात ख़त्म करने को अब नुक़्स ढूँढना पड़ेगा।

प्यार तो बहुत किया करते थे उन से,
वक़्त आया है सख़्त बनना पड़ेगा।

कहते हो इंटरनेट पर नकारात्मकता बहुत है
गुरू, भीड़ से तुम्हें ख़ुद ही हटना पड़ेगा।

मौत पर मेरी सारे जहां में सन्नाटा चाहिए "दीपक"
उस के लिए जहां में नाम क़ायम करना पड़ेगा।

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28 JAN 2021 AT 15:05

ये सोचकर मैं उस गली पलटता नहीं,
जानता हूँ ,
ये झरना दीद का मेरे रोके रुकेगा नहीं...!

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1 JAN 2021 AT 11:12

उम्मीद करता हूँ सब समझ
गए होंगे,
क्या ज़रूरी है और
क्या ग़ैर-ज़रूरी....!

"Happy new year"

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29 DEC 2020 AT 11:40

मेरा मज़ाक उड़ाया कुछ ने,
तो तरस भी खाया कुछ ने,
गर्त में धकेला किसी ने,
तो राह भी दिखाई किसी ने,
जगज़ाहिर है बात हूँ अँधेरे में,
मगर सिखाया भी बहुत अँधेरे ने,
मज़बूती इरादों में तो मौजूद हम जहान में,
वगरना बढ़ाते आबादी किसी क़ब्रिस्तान में....!

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22 DEC 2020 AT 10:45

ये मेरे हालात
किसी हवालात से
कम तो नहीं.....!

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