मैं हाल लिख रहा हूं, एक शख्स की जुदाई का
मेरी रूह की जुदाई का, मेरे नब्स की जुदाई का
मेरे साथ जिस शख्स की आज आखिरी रात है
अब आ पड़ा है वक्त उसकी सांसों की जुदाई का-
Wannabe poet...
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मुझे इश्क में डूबा हुआ मेरा वो दिल चाहिए
ये जला पड़ा है सीने में मेरे ना जाने क्या
मुझे रातों के अंधेरों में वो खोया सुकून चाहिए
ये चीखें पड़ती हैं मेरे कानों में ना जाने क्या-
मेरी पूरी रात ये सोचने में निकल जाती है
की तेरी जुदाई मुझे अब तक क्यों सताती है
मुझे नहीं समझ में आता ये किस्मत का लिखा
की जान जाने पर भी जान की लकीर चलती जाती है-
ज़रा पूछो, मेरी तन्हाई का क्या हाल है आजकल
बस हंसता रहता हूं, सब कुछ कमाल है आजकल
मेरा वक्त अब कहीं खर्च ही नहीं होता
इतने वक्त का अब करूं क्या, ये सवाल है आजकल-
मुझे तो इश्क़ कभी हुआ ही नहीं
जो मुझे हुआ, किसी को समझ आया ही नहीं
जिसका नाम मेरी बाईं कलाई पर लिखा है
उससे अब मेरा कोई वास्ता ही नहीं-
इसे फाड़ना मत मेरी जान ये मेरा आखिरी ख़त है
इसके बाद मैं सब भूल जाऊंगा, भूलने की मेरी पुरानी आदत है
मैं जला दूंगा उन सारी यादों को, जिनको तुमने कभी छुआ था
मैं ये ज़ाहिर होने ही नहीं दूंगा की मुझे तुमसे अब भी मोहब्बत है-
अभी कब्र में जो सोया है, ये इंसा कोई और होगा
कितना बोलता था ये आदमी, ये मरा कोई और होगा
की तेरे चाहने वाले भी कम नहीं महफ़िल में
तूने जलाया किसी और को और जला कोई और होगा-
किसी पिंजरे में कैद हूं, ऐसा लगता है मुझे
कोई मुझसे क्यों नहीं पूछता, कैसा लगता है मुझे
मेरे सपने, मेरी ख्वाहिशें, मेरे अरमानों का क्या
ये सब तो किताबी बातों जैसा लगता है मुझे-
आज तुमसे मुलाक़ात होने पर जाना
मंज़िल ये थी, अभी तक तो था सफर जाना
तुम्हे छोड़ कर तुम्हारे मकाम पर मै
कितना अकेला था मेरा घर जाना-
तेरे तोड़ने पर भी ना टूटे, मेरा दिल इतना सख़्त कहाँ है
कोई दो पल बात सुने तुम्हारी, लोगों पे इतना वक़्त कहाँ है
की अब मरते हैं तो मरने दो का रिवाज चला है
कोई आँसू पोंछे किसी के अब वो इंसानियत कहाँ है-