किसी जोगी ने बचपन में ये बोला था, 'लगेगा'
'मुहब्बत ठेस है जो मुझको अच्छा सा लगेगा'
चले जाते हैं बारी बारी से... ये लोग सारे
नहीं क्यों सोचता कोई मुझे कैसा लगेगा
इसी उम्मीद मे सबको.. गले अपने लगाया
कोई होगा यहाँ पर जो मुझे मुझसा लगेगा
इसी सहरा में खोया है मुहब्बत मैंने,सो अब
मुहब्बत उसको दूँगा जो मुझे प्यासा लगेगा
कभी मैं रो पड़ू तो तुम, गले मुझको लगाना
तुम्हारा कर्ज़ उतरेगा..... मुझे अच्छा लगेगा
जिसे हम याद करते थे उसी को भूल बैठे
तुझे तो याद करने को.. हमें नश्शा लगेगा
फफ़क़ कर रो पड़ा जब वो गले लग कर, लगा यूं
समंदर का किनारा........... मेरे घर से आ लगेगा
© दीपक शाव-
कह देना हाँ.. ' दीपक ' को जानती हूँ..
© Deepak Shaw
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वो एक पंजाबन
जो मेरे पे दिल हार चुकी है
वो जिसकी आँखें... सुरमई है,
वो जिसके बातों से... शकर गिरते है
वो जिसके होंठ... मय के प्याले है
हाँ वही...
उसी को जा कर कह दो
वो मुझे भी भाती है
मुझे भी उसकी याद आती है
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रात, फूस की छत के नीचे
ताख पर टिमटिमाते लालटेन
की रोशनी में बुढ़िया ने
अपने आयु के 80 साल काट दिये
फिर बच्चों ने झोपड़े में बल्ब लगा दिया
अब बुढ़िया अँधेरे में सोती है...-
कह दो तुम साथ हो मेरे और
मैं ताउम्र अकेला रह लूँगा
Keh do tum sath ho mere aur
Mai ta'umra akela reh lunga-
मैं समझ नहीं पाता हूँ तेरे बाद क्या करूँगा
वो एक मौत होगी जिसे जीना पड़ेगा-
निकल गया है सभी का जो काम मेरे से
किनारा करते है सब, फ़ोन काट देते है
nikal gya hai sabhi ka jo kaam mere se
ki'nara krte hai sab, phone kaat dete hai-
जाने वाले को अंतिम सदा दीजिये
फिर अगर वो न आए.. दुआ दीजिये
वो मुक़द्दर मुक़द्दर ही करता रहा
मैं वफ़ा करना चाहूँ.. वफ़ा दीजिये
बेवफ़ाई की खाई में उतरे नहीं
बेवफ़ाई की खाई बता दीजिये
इश्क़ ही इश्क़ हो जाऊँ मौला मिरे
इश्क़ करने की मुझको अदा दीजिये
देखूँ क्या क्या उसे देखने के लिए
मेरी आँखों को थोड़ी हया दीजिये
आग दिल की मिरे कब की बुझ है चुकीं
प्यार की अपनी इसको हवा दीजिये
मुझको दुनिया की फितरत महंगी पड़ी
कई तो रातें जगा हूँ सुला दीजिये
© Deepak Shaw-
मिट्टी के कुल्लहड़ से लेकर अँग्रेज़ी शराब की बोतल तक में मिट्टी तेल और कपड़ा डाल कर अँधेरे में अंजोर करने की कला और विज्ञान जब शहर को आई,
तब पेट्रोल बम बन गयी...-