1 जनवरी 2022 के दिन, मुझे नववर्ष की बधाई देने वाले कुल मिलाकर कुछ दो-चार ही लोग थे उन्हें मैं "बेचारे" ही कहूँगा क्योंकि
"जहाँ इतना बड़ा उलटफेर या यूँ कहें कि सकारात्मक परिणाम सोशल मीडिया जैसी व्यवस्था से देखने को मिला कि हम हिन्दू संगठित होकर गर्व से कह रहे हैं कि हमारा नववर्ष गुड़ी पड़वा (चैत्र नवरात्र) से है",
वहाँ ये बेचारे अभी तक स्वाभाविक परतन्त्रता से मुक्त ही नहीं हो पाए।
अरे भैया और कैसी क्रांति चाहिए आपको वैचारिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए(??)
आखिर इनका बोझ ये ही झेले हमें क्या लेना(¿)
परन्तु कम से कम आप तो..यह एक *सत्य* अपने होनहार बच्चों को अवश्य बताइयेगा कि ....चैत्र नवरात्र पर हमारी प्रकृति चहुँओर नवप्रस्फुटित होकर हमें ये अनुभव करवाती है कि जैसे आज से ही सब प्रारम्भ हो रहा हो और यही सृजन की प्रथम तिथि है जिसे हम पड़वा कहते हैं अर्थात "गुड़ी पड़वा"¡🙏🚩
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