मिली है मुहब्बत तो आजमा के देख लो।
मेरे हमदम थोड़ी बेचैनी ला के देख लो।
मुट्ठी से सुखी रेत फिसलती हैं कैसे,
समंदर किनारे जा के देख लो।
अपनी नींद की स्याही से लिख रहा हूं मैं ,
यकीन न हो तो मेरे ख्वाबों में आ के देख लो।
मुझे दर-बदर भटकना पड़ा तेरे रहते हुए,
अपने खिड़की का परदा हटा के देख लो।
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