Deepak sethi   (Big Hoss D)
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Joined 15 November 2017


Joined 15 November 2017
31 JUL 2022 AT 23:32

तन्हाई के पर्दे पर कुछ पुरानी  यादों का धूल जम गए  है,
सोचता हुँ कुछ वक्त चुरा कर उन यादों के धूल को ओढ़ लूँ।

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26 JUL 2022 AT 13:50

तुम सावन की पहली बरसात बन के आना ,,
मेरे तपती रूह को ठंडक का एहसास दिला ना,,
बदल ना दुनिया के रस्मो रिवाजो को,,,
मेरे चाहत की आखरी सांस बन ना,,
वक़्त वे वक़्त कभी खामोशी अपना भेष धरे,
तुम्हारे आँगन में आये तो मेरे दहलीज का पता बता ना,
तुम सावन की पहली बरसात बन के आना।।।।।

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6 FEB 2022 AT 22:42

मैं गज़ल लिखूँ, या नज़्म  लिखूँ,
या तेरे चेहरे की मंद मुस्कान लिखूँ,

प्रेम में राधा लिखूँ ,या मीरा दीवानी लिखूँ,
या लिखूँ रुक्मणि का समर्पण,







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26 JAN 2022 AT 23:34

मेरे पास एक किताब है,किताब में एक कहानी है,
कहानी जो कि अधूरी है, उस कहानी में एक लड़की है,
लड़की की आँखे भूरी है, आँखों मे एक ख्वाब है,
ख्वाब में एक झरना है, झरने से गिरते कई ख्वाब है,
लड़की के होटो पे एक गीत है जो कि झरने का संगीत है,
मेरे पास एक किताब है,किताब में एक कहानी है।

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26 JAN 2022 AT 23:04

गली के अंधेरे नुकड़ पर, चांद के रोशन तले, कोई गुमनाम हमसफ़र हो या कोई  संनबी किरदार हो, जो बारिस के बौछारे तले छतरी ताने किसी के साथ होने का गुमान करता हो, एक लम्हें में नजर से ओझल हो जाने वाले , ना कोई इल्जाम  अब फक्त  उस लम्हे में जीना चाहता हुँ।

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24 JAN 2022 AT 22:09

वही दिन है वही रातें,
बस तुम हो वही ख्वाब है।

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22 JAN 2022 AT 22:52

ख़्वाब देखने की कीमत चुकानी पड़ ती है,
मेरा जुर्म ख्वाब देख ना था , सजा तो उम्मीद ने दी है।

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22 JAN 2022 AT 22:35

रास्ते याद  रहते है मुझे बस कभी कभी दुबारा गुजरने से गुरेज करता हूं।

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13 JAN 2022 AT 0:02


वो उमीद मार गई थी जो हर रात सोने से पहले दिलासा देती थी, एक दिन सब ठीक हो  जाएगा ।
वक़्त की परतों को हटा के देख  ता था तो इश्क़ के नये नये रंग दिख ते , गुजरे  जमाने के बाते गूंज ती थी और पलको पे कई  अंशु झूल जाते थे, उस के दूर जाने के बाद में उस को ओर करीब से महसूस कर ने लगा था।
बैरहाल इन अहसासों  का क्या फायदा था, अब तो हमारे रास्ते दूसरे थे ,हमारी मंजिले अलग थी,हम दो अलग अलग लोग थे जो सिर्फ यादों की एक कच्ची डोर से बंधे थे , में खोकले  दिल मे उस की जलती बूझ ती यादों को लेके वक़्त के लंबे सफर पर नामालूम ठिकाने से गुजरता था।।

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21 NOV 2021 AT 23:12

कोई सुखी गुलाब है जो घर के पुराने दराज में यूं ही किसी किताब  के आखिरी पन्नों में सिमटी पड़ी होगी। उसकी खुशबू बता रही होगी जैसे कोई पुरानी प्यार सिमट के रह गई हो उसके तेह में।

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