तुम सावन की पहली बरसात बन के आना ,,
मेरे तपती रूह को ठंडक का एहसास दिला ना,,
बदल ना दुनिया के रस्मो रिवाजो को,,,
मेरे चाहत की आखरी सांस बन ना,,
वक़्त वे वक़्त कभी खामोशी अपना भेष धरे,
तुम्हारे आँगन में आये तो मेरे दहलीज का पता बता ना,
तुम सावन की पहली बरसात बन के आना।।।।।
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