बरसात के मौसम मे आज फिर बचपन की याद आ गयी हाथ मे कस्ती गलियों मे पानी और अब जवानी आ गयी!
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तु मेरे गाँव को आती है मै तेरे गाँव को जाता हु
रास्ते मे कहीं सड़क तो कहीं चकरोड आती है
फिर मुझे तेरी बचपन की बहुत याद आती है-
राते काली करनी पड़ती है
कुछ करने के लिए
और लोग कह देते है
इसकी तो किस्मत अच्छी थी-
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान,
कितना बदल गया इसांन, कोरोना ने तो ले ली जान ,
सुरज ना बदला, चाँद ना बदला, ना बदला रे आसमान,
कितना बदल गया इसांन,कोरोना ने तो ले ली जान
आया समय बेढंगा.आज आदमी बना लफंगा
कही पे फंगस कही पे कोरोना नाच रहा नर होकर नंगा
मास्क और सेनेटाईजर से बचा रहे जान
कोरोना ने तो ले ली जान
राम के भक्त रहिम के बन्दे सब के बन्द हो गए धन्धै
कितने ये मक्कार ये अन्धै दैख लिए ईनके भी धन्धै
इन्हीं कि काली करतूतों से हुआ ये मुल्क मशान
कितना बदल गया इसांन कोरोना ने तो ले ली जान
जो हम आपस मे गले हाथ ना मिलते बने हुए खेल क्यो बिगडते
काहे लाखो घर ये ऊजडते, क्यो ये बच्चे माँ बाप से बिछडते
फूट -फूट कर क्यो रोते प्यारै बापू के प्राण,
कितना बदल गया इसांन, कोरोना ने तो ले ली जान
-दीपक सैनी-