Deepak Raj Arya   (Deepak Raj Arya 007)
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एक शक्श जिसके लिए यहाँ तक आया।
अब कई दूर तक नही हैं उसका साया।
Joined 26 June 2018


एक शक्श जिसके लिए यहाँ तक आया।
अब कई दूर तक नही हैं उसका साया।
Joined 26 June 2018
21 JUN 2023 AT 0:41

जो गुजर रही हैं मुझपे, अगर तुम पर गुजरती।
तो कसम तुम्हारी, तुम गुजर गए होते।

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21 JUN 2023 AT 0:33

तुम्हें अपनी जिमेदारी मानते हैं,
इस लिए छोटे कपड़े पहने के लिए मना करते हैं।
वरना दुनिया तो तुम्हे, बिना कपड़ों के देखना चाहती हैं।

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27 JAN 2023 AT 2:20

हम भी गुजरती शामों में बाहर बैठा करते थे।
अब लोग बाहर बैठे हुए हैं और हमारी शाम गुजर गई हैं।

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19 JAN 2023 AT 23:51

पहले mujhe लगता tha, mere दोस्त कम hain.
मुझे ab पता chala, mere paas पैसे कम hain.

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13 DEC 2022 AT 3:33

वो शक्श मिलता हैं गैरों से, अपनों की तरह।
एक शक्श अपना, उसका जबसे गैर हुआ हैं।

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15 NOV 2022 AT 10:52

हम उनके साथ, जिंदगी बिताने के वादे कर रहे थे।
जो हमारे साथ, सिर्फ वक्त बिताने के लिए थे।

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2 NOV 2022 AT 1:10

छोड़ कर भला हमें, अब किधर जाओगे।
मिलेंगे हम ही हम, तुम जिधर जाओगे।

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2 NOV 2022 AT 1:05

हम गुजर गए मगर, वो वक्त न गुजरा।
जब वो कह गए थे, हम लौट कर आयेगे।

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2 NOV 2022 AT 0:40

जो शक्श जरा भी किसी और का हैं।
वो शक्श मुझे जरा भी नही चाहिए।

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25 OCT 2022 AT 17:08

असली ग्रहण तो लोगो की जिंदगी में फोन हैं।
जो रिश्तों के बीच में आकर, रिश्तों में दरार ला देता हैं।

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