Deepak Raghuwanshi   (दीपक)
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Joined 25 October 2018


Joined 25 October 2018
11 OCT 2019 AT 13:55

आज फिर कलम उठाई सोचा कि कुछ लिखा जाए...

बस कुछ ख्याल आए, फिर सवाल भी आए।
कुछ दर्द याद आए, तो उनके सुझाव भी आए।
कुछ परेशानियां आयी, तब उनके हल भी आए।
फिर सोचा ऐसा क्या रह गया जो ना आया।

बस कलम उठाई लिखा तब जाके सुकुन आया
फिर जो रह गया था वो सुकुन भी साथ आया।

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4 JUL 2019 AT 21:35

ज़ख्म अगर नया हो तो रुलाता जरूर हैं।

और अगर पुराना हो तो,

बुलंदियों की राह में हिम्मत बड़ाता जरूर हैं।

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3 JUL 2019 AT 15:12

सही ओ गलत का हिसाब,
अब ये ठोकरें लगाकर देंगी!


कटी पतंगो को जवाब अब,
उड़ती पतंगे जमीं पर आकर देंगी!

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1 JUL 2019 AT 23:06

जुनून हैं तो घड़ी क्यूं देखें..
और फुरसत हैं तो घड़ी क्या देखें...।

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25 JUN 2019 AT 17:41

हर मंजिल पर मुमकिन नहीं मुस्कान कोई मिले।
कुछ हासिल होती हैं, खुदको साबित करने के लिए।

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23 JUN 2019 AT 23:25

नाकामियां भी जरूरी हैं....

या तो आस बंधी रहेगी......
या तो आग बढ़ती रहेगी......

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26 NOV 2018 AT 11:05

क्यूं हैं उदासी मन में इतनी भारी
क्या हैं जो अधूरा सा रह गया
हलचल हो रही हैं ख्याल के समुंदर में
खुद के होने पर आज यकीन कम सा लगता हैं।
क्या है इस मन में जो इतना खाली खाली सा लगता हैं।

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21 NOV 2018 AT 10:29

क्यूं आज कोई, अपना नजर नहीं आता
सन्नाटा है बाहर या है मेरे अंदर सन्नाटा
तार मेरे सितारों के, अब सारे है टूट चुके
न जाने सुर रागो से, कब के है छूट चुके
जरा हौले गीत वहीं दोहराना तुम
हो सके तो इस बरसात ठहर जाना तुम

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30 OCT 2018 AT 20:22

दौड़ रहा हूं, इक अजीब सी ख्वाइश लिए।
डर है कही, ठोकर खाकर गिर न जाऊं।
फिर भी इक होंसला बुलंद लिए बढ़ता हूं।
मजा तो तब आएगा दौड़ने का,जब खुद मंजिल भी छोटी दिखने लगे, मेरे दृढ़ निश्चय के आगे।

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26 OCT 2018 AT 17:28

शौक नहीं हैं लिखने का मुझमें,
नाही किसी के लिए लिखता हूं।
बस जो दिल में उभर आते हैं शब्द,
उन्हें ख्याल की तरह पेश कर देता हूं।

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