Deepak Pokhriyal   (दीपक पोखरियाल (deepocean)
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http://www.mirakee.com/deepocean
Joined 27 September 2017


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26 APR AT 15:01

समझता है मुझे एक ही शख़्स,
वो आईने में बैठा हुआ मेरा ही अक्स।।।

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26 SEP 2023 AT 1:00

घिस रहा हूं चिराग़ रूपी ज़िन्दगी को,
की कभी तो मेहनत रूपी जिन्न निकलेगा।।

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20 AUG 2023 AT 8:28

लिखना मेरा छूट गया,
जो खुद से किए वादे थे,
उन पर अमल करना छोड़ दिया,
शायद जीना मैंने छोड़ दिया,
हां छोड़ दिया,
भरी थी आंखें और रो रहा था,
लेकिन आंखों से आंसू कहीं सुख गया था,
अंदर ही अंदर मै लड़ रहा था,
तनाव से मस्तिष्क मेरा फट रहा था,
उल्टे पुल्टे ये कचड़े से ख्याल,
क्या करू इनका जो मचा रहे थे बवाल,
क्या करना है मुझे इसका होश नहीं था,
अंदर ही अंदर कुछ अधूरा पड़ा था,
रो रही थी मां और मै स्तब्ध खड़ा था,
सब मेरे कारण हुआ ये सोच रहा था,
घिरा रहता मै इन ख्यालों में था,
क्या दिन क्या रात सब एक हो गया था,
फिर एक दिन जागा तो सवेरा हुआ,
पसीने से लथपथ मेरा जिस्म हुआ,
योग ध्यान से शुरू दिनचर्या हुआ।।।।।।

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9 AUG 2023 AT 22:09

कुछ वक़्त के थपेड़े है,
कुछ ऐब हमने पाले है,
ज़िन्दगी को सीखने में सालों गुजारे है।।


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20 JUL 2023 AT 7:21

ख्वाहिशों की धूप जलाती बहुत है,
दिल को बेबस कर सताती बहुत है।

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19 APR 2023 AT 20:50

अब वैसा ना पाओगे,
कदर है मुझे अपने आप की,
अब चाहो भी तो तोड़ ना पाओगे।।।

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3 DEC 2022 AT 10:54


औरो को नही खुद की सुनना पड़ता है,
लड़ाई है हमारी अपने आप से ही,
इसलिए हमेशा जीतना ही पड़ता है।।

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3 DEC 2022 AT 10:50

कुछ हारा सा मैं,
कुछ थका सा मैं,
कुछ जिंदगी को बचाता मैं,
हताशा निराशा में पड़े,
कई वर्ष जैसे बीत गए,
पर खोल के अपने पंखों को,
अब उड़ने लगा हू मैं,
हां फिर एक बार जिंदगी,
जीने लगा हूं मैं।।।

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8 NOV 2022 AT 20:40

क्यूं मोन है वो कोई क्या जाने,
उठ रहे है मन में क्या क्या सैलाब,
कोई क्या जाने,
टूटता है बांध जब जब सब्र का,
तो उठती हैं सुनामी समुंदर में,
क्यूं उठी है ये कोई क्या जाने।।

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21 OCT 2022 AT 20:29

जिंदगी को रोशनी मिल जाये
कट रही है जिंदगी हाय!
डूबते को तिनके का सहारा मिल जाये।।

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