ज़रूरत थी जो मेरी, वो पूरी हो गई,
कोई बात न रही, जो अधूरी हो गई।
तलब उठी थी कुछ और पाने की,
दिल तो समझ गया था,
मगर ये दिमाग…
उसकी मजबूरी हो गई।
-
Instagram read more
Jo banda khud se pyar karna bhool jaata hai, wo ek din thak jaata hai — chahe usne duniya ke liye kitna bhi pyar sambhala ho.
-
कहते हैं सब कुछ नया है,
फिर भी याद आता है पुराना ज़माना है...
माना, बदल गई हैं चीज़ें,
चिट्ठी की जगह आ गया मोबाइल,
लेकिन उन शब्दों का,
अपना ही इक तराना है...
हाँ, सफ़र सुहाना है।
वो गाड़ी के टायर को डंडा मार के चलाना,
टिड्डियों के पंख में घास को फँसाना,
बस में बजता वो पुराना गाना,
नटखट, चूरन, कॉन्ट्रा, मारियो,
एक रुपये डालकर खेल चलाना,
बीत गया जैसे कोई ज़माना है...
बालक से हो गए बड़े,
सफ़र सुहाना है।
3D, 4D का अब आया चस्का,
पर DD National का था असली रस भरा तड़का।
शक्तिमान का घूमना,
बायोस्कोप में तीन दिन तक मूवी चलना,
और सुबह मैदान में मैच का जमना,
बस अब यादों को रिवाइंड कर जाना है,
बीत गया जैसे ज़माना है...
बालक से हो गए बड़े,
सफ़र सुहाना है।-
मेरी हर एक ख़ामोशी में
इंतेज़ार हो गए तुम मेरे लिए...
मेरी ज़िंदगी की हर एक खुशी तुम से
गुलज़ार हो गए तुम मेरे लिए ...
मैने जान तुम्हे जब से
ऐतबार हो गए तुम मेरे लिए...
-
वक्त कर ले कितना भी सितम
कभी भी कोई दूरी तुमसे
ये दिल नहीं सह पाएगा ..
मेरी आंखों से देखो खुद को
मेरी आंखों में तुम्हे
तुम्हारे लिए प्यार का
समंदर नजर आएगा..-
नहीं रहा कोई सपना
सब हकीकत लगने लगा
हुई उसके इश्क की बरसात ऐसे
उसका शहर भी मुझे अपना लगने लगा-
जो साथ ना टूटे कभी
कुछ ऐसी तुमसे मुलकात हुई है
ज़िन्दगी का हर मौसम है खुशनुमा संग तेरे
आने से तेरे कुछ ऐसी बरसात हुई है
कलम के हर लफ्ज़ हो गए सुन्दर
इश्क़ की श्याही से भरी
तेरे नाम की मेरे दिल में एक किताब हुई है
ना छूटे कभी जो साथ
कुछ ऐसी तुमसे मुलकात हुई है-
शुरु भी तुमसे है
खत्म भी तुम पर है
इस जीवन की स्याही तुम
जिंदगी का हर एक
अक्षर तुम से है...-
बनकर तुम आये गुलाब मेरी जिंदगी में
छाये तुम बनकर एक खूबसूरत ख्याल जिंदगी में
लगता है हर पल खुशनुमा
अब तुम ही सभी सवालों का जवाब जिंदगी में-
पता है तुम मेरे लिए क्या हो?
सुबह उठ के जो सबसे
पहला चेहरा देखना चाहूँ वो हो तुम...
जिसके साथ मैं आखिरी दम तक
जिंदगी को जिंदादिली से
बिताना चाहु वो हो तुम..
जिस्के पेर छूकर
मैं उसे बराबर
का दर्ज़ा दू वो हो तुम...
जिसे मैं हर वक्त
खोने से डरूं
वो हो तुम..
जो मैं कभी कमा के भी
ना कमा पाऊं..
वो बेशकीमती दौलत हो तुम..
जो मेरे चेहरे पर हमेशा आए..
जिसका नाम महसुस करके मैं मुस्कुराऊं..
वो..मुस्कान.. हो तुम
होती होगी लोगो की मोहब्बतें ..पर मेरे लिए...
मेरे शरीर के दो हिस्से मैं से
एक हिस्सा हो तुम...-