ग़ज़ल:
2122 2122 2122 212
देश के बिगड़े हुए हालात की बातें करें
जो नशे में गुम हुई उस रात की बातें करें
लड़ रहे हक़ की लड़ाई आजकल दिन रात
हम
किसलिये फिर हम किसी ख़ैरात की बातें
करें
आपकी औक़ात से तो आप भी अनजान
हैं
आइये कुछ आपकी औक़ात की बातें करें
आप महलों में रहें और हम रहें फुटपाथ
पर
किसलिये फिर एक से लम्हात की बातें
करें
जूझते जो ज़िन्दगी से रोज़ रोटी के लिये
आइये उनके दिली जज़्बात की बातें करें
जो मिले हैं ज़िन्दगी से उन सुरों को जोड़
कर
दर्द में डूबे हुए नग़्मात की बातें करें
दीपक पंडित
- दीपक पंडित
24 OCT 2019 AT 20:03