एक दीये ही हैं जो
रात में जलते हैं,
वरना
जलने वाले तो
दिन - रात जलते हैं । "
आप पहली किस्म के हैं
आपको सलाम करता हूँ,
दीवाली की अपनी शाम
आपके नाम करता हूँ ।
मेरा क्या ?
मैं तो आपकी यादों के चिराग़ों से
सदा जगमगाता हूँ ,
रोज याद करता हूँ
रोज दीवाली मनाता हूँ ।
घनश्याम अग्रवाल ( हास्य-व्यंग्य कवि )
094228 60199-
" मैत्री दिवस "
ये मेरा अपना व्यक्तिगत मत है कि शादी भले ही 36 गुणों में से 15-20 गुण या इसके भी कम मिले तो कर सकना चाहिए ।मगर मेरी दोस्ती के लिए 36 में से 35 गुण मिलना जरूरी है.।एक गुण छोड़ रह हूँ, वी भी इसलिए कि हलका-सा फासला हो,ताकि उसको मना सकूँ।,उससे मन सकूँ। उससे वो बात कर करूँ, जो खुद से नहीं कह सकता ।
आपको मैत्री दिवस पर बधाई ।
घनश्याम अग्रवाल
हास्य-व्यंग्य कवि-
" व्यंग्यासन "
" शवासन "
एक बूढ़े -बीमार भिखारी ने
फुटपाथ पर योग दिवस मना
गिनीज बुक में अपना नाम
इस तरह जोड़ दिया ,
म्युनिसपाल्टी की गाड़ी आने तक
लगातार दस दिनों
शवासन करने का
रिकॉर्ड तोड़ दिया ।
घनश्याम अग्रवाल ( हास्य-व्यंग्य कवि)
94228 60199-
" व्यंग्यासन "
" कपालभारति "
योग दिवस पर
सामुहिक रूप से
कपालभाति हो रही है,
देखने वाले कुछ
ऐसा ही भाँप रहे थे,
हकीकत ये थी
योग भवन हेतु
पसीने से लथपथ, बोझ उठाए
फूली हुई सांसों से मजदूर
एक साथ हाँफ रहे थे।
घनश्याम अग्रवाल ( हास्य-व्यंग्य कवि)
94228 60199-
तुम्हें ये इल्म ही नहीं
के ये जिंदगी भी किसी
ग़ज़ल की तरह है
इस में भी
वज्ऩ है...
बहर है....
मीटर है....
मतला है....
मक्ता है....
काफ़िया है....
रदीफ़ है....
इन सबसे हीं
इसकी वजाहत है
मैं किसी काफ़िये के मानिंद हूं
और
तुम रदीफ़ की तरह....
ये सदा-ए-वक्त है
के लौट आओं
सुनो
ग़ज़ल मुकम्मल
होना चाहती है
-
" ईद मुबारक "
" मीठी यादें
मीठी सेवैंयां
मीठे बोल,
ईद के सब
तोहफे
अनमोल । "
घनश्याम अग्रवाल ( हास्य-व्यंग्य कवि )
094228 60199-
" ईद मुबारक "
" ईद के बहाने
याद आये
तो क्या याद आये,
मजा तो तब है
कोई याद आये
तो ईद मनाये।"
घनश्याम अग्रवाल ( हास्य-व्यंग्य कवि )
094228 60199-
"ईद मुबारक"
तुम्हें याद करते हम
ईद के बहाने
ईद न होती तो
कैसे याद करते?
खुदा जाने
घनश्याम अग्रवाल ( हास्य-व्यंग्य कवि )
094228 60199-
" जिन्दगी संवारने आये थे
जिन्दगी लुटाकर चले गए,
हम शरीफों को आईने में
'सूरत' दिखाकर चले गए।"
( कुव्यवस्था के मैदान में पढ़ते हुए नन्हें शहीदों को सलाम)
हास्य-व्यंग्य कवि
घनश्याम अग्रवाल
9422860199-