Deepak Kumar   (Deepak kumar)
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Joined 28 September 2020


Joined 28 September 2020
19 MAR AT 18:16

वो मेरे लिए.....।
अपने पापा के लाए रिश्ते को भी,
माना नहीं कर सकती थी।
और मैं उसके लिए अपने मां-बाप को ,
उसके घर वालों के सामने झुकाने को तैयार था।

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31 DEC 2021 AT 12:42

कौन हो तुम?
क्यों तुम मेरे लिए इतने खास हो?
क्यों चाहता हूं मैं की हर पल तुम्हारा अहसास हो?
क्यों तुम मेरी ज़िंदगी के हर किस्से का एक खूबसूरत हिस्सा हो?
क्यों मेरी जिंदगी का हर रास्ता तुम से होकर जाता है?
क्यों तुमसे दूर होकर भी तुम्हारे पास होने का एहसास होता है?
क्यों तुम गैर होकर भी अपने से लगते हो?
क्यों तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा लगता है?
क्यों तुम्हारे पास होने पर किसी और चीज की चाहत नहीं होती?
कौन हो तुम?
???

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24 JUN 2021 AT 6:42

हाल-ए-दिल क्या बताएं आप से दिल आंसुओं से भरा है और चेहरे से मुस्कराहट हटा नहीं सकते ,
आप से बिछड़कर जिंदा तो हैं पर कैसे जी रहे हैं ये बता नही सकते।

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2 MAR 2021 AT 18:50

,
आज फिर जमी है।
ये बात कुछ और है कि वहां आज हम नहीं हैं ।।
कौन खुशनसीब है जो मेरा रकीब बना ?
चांद मिल जाए सभी को।
ये सब का नसीब नहीं है।।

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2 MAR 2021 AT 18:28

मेरे जनाजे को उन्हीं की गली से लेके जाना।
जब मेरा इंतकाल हो जाए।।
क्या पता ...?
वो मेरे जनाजे को देखने छत पर आए।
और एक आखिरी बार उनका दीदार हो जाए।।

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28 FEB 2021 AT 10:24

चाहे तुम लाख बार गिरा दो,
यह हमेशा मुझे ऊपर उठा देती है।
इतनी शक्ति है इसमें,
कि ये कोयले को भी हीरा बना देती है।
सूरज भी ढल जाता है एक वक्त पर,
पर मेरे अपनों की दुआएं हमेशा मेरे साथ होती हैं।

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19 FEB 2021 AT 13:20

तरसोगे हमें देखने को खुद को इतना दूर कर देंगे।
आपसे क्या हम किसी से नहीं मिलेंगे।।
बात अगर आपकी खुशी की हो तो बात देना।
मुहल्ला क्या ये दुनियां भी छोड़ देंगे।।

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18 FEB 2021 AT 22:15

गलती आपकी नहीं ,
गलत तो हम है।
आप तो बहोत अच्छे है।
बुरे तो हम है।
ख़्वाब हमने ही देखा था,
इसीलिए हर्जाना भी हमने भरा।
तभी तो अकेले आप नहीं,
अकेले तो हम है।

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3 FEB 2021 AT 11:26

यूं तो ये आंखें आपके दीदार का,
मुसलसल इंतजार किया करती हैं।
पर जब आप सामने आते हैं,
कमबख्त ये पलके झुक जाया करती हैं।
आज हमारी दूरियां कुछ यूं दूर हो जाए,
की आंखों से पलकों का ये फासला ही मिट जाए।

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20 JAN 2021 AT 12:29

हम डरते थे तुम्हें खोने से।
पर हमें कहां मालूम था!
कि....…!
तुम हमारे कभी थे ही नहीं।

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