Deepak Kanoujia   (दीपक कनौजिया...प्राधुनिक)
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Joined 19 January 2019


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Joined 19 January 2019
10 AUG AT 15:06

दिन भर हो
कितनी भी मसरूफ़ियत
दिन भर
सब कुछ रहे
बिखरा बिखरा तो क्या!
फिर भी
होंठ तो उसके
चूमे जा सकते हैं
सलीके से रात भर
आराम से टांग कर
ये थकन की टाई
कमरे की खूंटी पर...

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3 AUG AT 22:19

इस संसार में
यदि माता पिता
ईश्वर का स्वरुप हैं
तो मित्र वह माध्यम है
जिसके द्वारा ईश्वर
अपने संदेश, अपनी सहायता
आप तक पहुँचाता है...

सच्चा मित्र
ईश्वर का संदेशवाहक है...

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18 JUL AT 21:23

मैं बैठ एकांत में
बनाऊंगा एक उत्तरपुस्तिका
लिखूंगा उत्तर उन प्रश्नों के जो तुम पूछा करती हो
और मैं अभी निरुत्तर रहता हूँ उन प्रश्नों पर...

{अनुशीर्षक...}

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17 JUL AT 23:13

सभी मिठाइयां फीकी फीकी हैं
बस उसके होंठों का लहू मीठा है,
यह दुनिया बहुत तेज़ तेज़ चलती है
बस उसका साथ धीमा धीमा सा है...

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11 JUL AT 21:27

कभी जब मैं नहीं रहूँगा
तब वो भी इस पेड़ से गले लग
अपनी उलझनों का बोझ इसकी डालियों पर लटका
चली जाया करेगी...
{अनुशीर्षक...}

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4 JUL AT 0:10

मैंने कभी नहीं देखा था तारों को
इतने इत्मीनान से यूँ रुक आसमाँ में…

{अनुशीर्षक...}

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29 MAY AT 2:29

ईश्वर
भी सुनते हैं स्वर
प्रेम के,
प्रेम भी
उन सीढ़ियों में से एक सीढ़ी है
जो ईश्वर तक ले जाती हैं...

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10 MAY AT 20:37

नि = नियम पालन से अध्यापिका
बे = बेहद शौक़ीन हैं लेखन की, मन से एक लेखिका
दि = दिल से कविता रचयिता
ता = ताल सुर से हैं गाती, हैं एक उत्कृष्ट गायिका...

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7 MAY AT 0:01

पहाड़ों सी संगत है उसकी
जब भी मिलो
पिछली दफ़ा से बढ़ी हुई मालूम होती है,
मिल कर बिछुड़ो
तो भी पहाड़ों सी आँखों में बस
संग चली आती है...

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17 APR AT 23:02

तू हिटलर की ईज़ाद की गयी
जानलेवा तकनीकों में से
कोई एक तकनीक जान पड़ता है...

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