उसे उम्मीद थी कि इस लॉकडाउन में वह शायद अपनी दुकान सबसे छुपा कर शटर गिराकर लगा लेगा उसे उम्मीद थी कि कोई अफसर उसी तरह से सौ की नोट लेकर उसे अपराध करने देगा पर उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी दुनिया ही उजड़ जाएगी और जो अफसर रोज़ रोजी का हिस्सा ले जाता था वही उसकी रोजी-रोटी छीन लेगा , उसका बिखरा सामान सारी उम्मीदें ख़ामोश कर चुका था