मुख पर मंद मुस्कान लिए
नयनों में सकल सम्मान लिए
करों में चाय जलपान लिए
वह लाचारी से लड़ता है
छोटू चाय लिए दौड़ता है...।
इच्छाओं का गला घोट
वस्त्रों में मलिन कालिख पोत
डांटे सुन मन को कचोट
पग धीरे धीरे भरता है
छोटू चाय लिए.........।
हमउम्रों का नित खेल देख
सृष्टि का दोहरा मेल देख
नियति का निष्ठुर जीवन लेख
सब रुग्ध गले से सहता है
छोटू चाय .................।।
- Deepak Dubey
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आदतन कलमकार तो नहीं
बस साहित्य से जुड़ना अच्छा लगता है।☺️
कौन कहता है आंसु कमजोरों की निशानी है
मैंने अश्क बहा कर लोगो को मजबूत होते देखा है।-
अब जो दे रहे हो गुलाब तो
खयाल रखना पंखुड़ियों का
मुरझाने के बाद भी।
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मेरा इश्क़ मुक्कमल हो जाए
ऐसा कोई दस्तूर नहीं
पर वो मुझसे दूर हो जाए
ये भी मुझे मंजूर नहीं।-
दर्द में भी मुस्कुरा कर काम करती है
वो 'मां' है बेशर्त तुम्हे प्यार करती है।-
मुद्दतों बाद मिली है ये मोहलतें
जी लेने दो,
फिर से इश्क़ का शुरुर चढ़ने में
अभी वक्त बाकी है।-
तू दूर है
तेरी खूबियों से इश्क़ है अभी
जरा पास तो आवो,
तेरी खामियों से इश्क़ फरमाना है मुझे।
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वो रातों की मस्ती
वो यारों की बस्ती
वो टपरी की चुस्की
वो सुबह की सुस्ती
याद आती है.....
चौपालें लगाना
वो बातें बनाना
जमाने के गम को
चुटकी में मिटाना
याद आती है....
हमेशा कही जाने की
प्लानें बनाना
और फिर से उम्मीदों पे
पानी फिर जाना
सब याद आती है...
जेबें वो खाली
वो बातें बवाली
पर खुशियों की पूंजी से
झोली भर डाली
ये जीवन की लम्हों
का स्वर्णिम सफर है
जो तुम लोग ना होते
ना होता मै पूरा
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A big responsibility
A heart full of love for mankind
A parent who cares for the people
A soul next to god
A hard working personallity with a gentle smile
A busy person who heals the People
And further more
A person who loves the patient like his family member
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यादें तो बहुत आ रही है आज भी उनकी
पर क्या करें बंदिशे है कुछ दरम्यान
उस जादुई आवाज़ को सुनना तो है मुझे
पर क्या करें अभी मुमकिन नहीं ये मकाम
हिज्र की आग में हर पल मै यूहीं तप रहा हूं
चंद यादों के दरख्तों को यूहीं पलट रहा हूं
मिलन की आस की बूंदों के सहारे जी रहा हूं
मै खुद को अपने आप से ही खो रहा हूं
अब,
आग लगी है इधर तो धुआ उधर भी उठेगा
इस गुमनाम इस्क का कुछ तो मकाम मिलेगा।
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