23 OCT 2019 AT 7:46

इस ज़माने में अब वो जान नहीं हैं
आदमी को आदमी की पहचान नहीं हैं

हर और भाग रहीं शानोशौकत
मुफलिसी में कोई इंसान नहीं हैं

ज़िन्दगी का मुकद्दर सफर दर सफर
शहरो की मंज़िलों की अब पहचान नहीं हैं

किस्तों में कट रहीं हैं ये जिंदगी
रुपयों से कीमती अब इंसान नहीं हैं

- DB🅰️rymoulik