28 JAN 2020 AT 9:29

तिरे ज़ज़्बातों के अश्क़ अपनी आंखो में पहने थे.. !
इस इश्क़ के ज़ख्म और ना जाने कितने सहने थे.. !!
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मिरे शहर में अब खुदाओं की कमी हैं.. !
हर जुबां में अब दुआओं की कमी हैं...!!
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मिरे नज़रिये का पहरा तुझसे हट रहा हैं.. !
इंसानी रंग इंसा ए इंसा से जो छट रहा हैं.. !!
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ज़िन्दगी में ज़मीर ए दौलत वे अदब हो चली हैं.. !
आफताब ए खिताब में वेजुबानी की फितरत पली हैं.. !!

- DB🅰️rymoulik