मिरे ये अल्फाज़ भी अब बेअसर हो गए वो किसी और की चाहत में बेखबर हो गए चाहत में तिरि लुटाते रहें हम मूलकोआम हम तो अपने ही शहर से वे-शहर हो गए - DB🅰️rymoulik
मिरे ये अल्फाज़ भी अब बेअसर हो गए वो किसी और की चाहत में बेखबर हो गए चाहत में तिरि लुटाते रहें हम मूलकोआम हम तो अपने ही शहर से वे-शहर हो गए
- DB🅰️rymoulik