मिरे ये अल्फाज़ भी अब बेअसर हो गए
वो किसी और की चाहत में बेखबर हो गए
चाहत में तिरि लुटाते रहें हम मूलकोआम
हम तो अपने ही शहर से वे-शहर हो गए- DB🅰️rymoulik
17 OCT 2019 AT 5:35
मिरे ये अल्फाज़ भी अब बेअसर हो गए
वो किसी और की चाहत में बेखबर हो गए
चाहत में तिरि लुटाते रहें हम मूलकोआम
हम तो अपने ही शहर से वे-शहर हो गए- DB🅰️rymoulik