9 OCT 2019 AT 20:21

आज जब हदों की बात जुबान पर आई हैं
तो हदों की कुछ दस्ता निकल आई हैं....

हदें तो हद में रह कर ही पार की जाती हैं
पर उन हदों का क्या जो बे-हद हो जाती हैं

मै उस हद तक चला था, जिस हद तक वो गिरे थे
आज वो किसी और के हैं कल तक वो मिरे थे

उनकी हदे उन्ही की हद में ना रह सकी
और हम बे वजह हद में रहें

नज़रे भी तुम्हारी किस हद पर गिरी
जहां से कभी हमने तुम्हें उठाया था

अपनी हदों में तो सबको रखते हो
कभी हमारी हद में बे-हद हो कर तो देखो

उनकी बे -हदी की भी क्या दस्ता सुनाये
दिल हमारा टुटा, उनके चेहरे पर शिकन भी ना हुई

हद की भी अपनी हद होती हैं
एक समय तक हद में रहती हैं

- DB🅰️rymoulik