सुकून की नींद में
इक सपना ऐसा तिलमिलाया
खूब ठहरना चाहा उस पल में
पर कमबख्त सवेरे की धूप ने अपना रंग दिखाया..!!-
अब तो भोर में भी,
सुनाई देने लगी है... पंछियों की चहचहाहट रे..
सूर्य भी दिखने लगा है भगवा के सामान सा...
अब तो नीले आसमां में ,
संगम होता चांद तारों का...!!!
लगने लगा है ये परिवेश ,
जैसे समय है पुराने दौर का....!!!
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ye kaisi bebasi hai...????
bahut kuch kehna to hai tumse , par kuch keh nahi paata...
har baar tum sahi nahi ho skte , ye bata nhi pata...,,
jalana chata hu tmhe bhi sabdo ki jwala mein,
prrr....pta nhi....,, kyu nhi jala pata...!!!
ye kaisi bebasi hai...????
mein kyu....kuch keh nhi paata...
sayad...
sayad...dar hai tujhe khone ka ,
dar hai...buni hui yadon k bikharne ka...!!
jo ehsaas dilati hai mujhe pura karne ki..,
aur....mera tujhme mil jaane ki..!!!
kahi na kahi...andar hi andar mujhe pata hai..,,
tum mujhse dur ja rahi ho,
par.....kyun m kch bol nahi paata???
kyun..???...mein tumhe tok nahi paata...????
ye....kaisi bebasi hai...????
thamna chata hu haath tumhara phir se,
par pata nahi , kyun tham nahi paata...!!
ye...kaisi bebasi hai...????
mein tujhe bhula kyu nahi paata ...!!!???
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न जाने किस के इंतजार में.…
ये चांदनी रातें ढल रही है ,
ढल रही है ये फिजा....!!!!
अब मन करता है ,आंखें मूंद लेने को....
तारों को आंखों में समाने को...
अब मन करता है..... , मन करता है...
नए सवेरे के लिए पलकों को विराम देने का....!!!!
न जाने किस के इंतजार में....
ये चांदनी रातें ढल रही है...!!!!!-
अभी है बाकी कुछ ख्वाब मेरे...
अभी है बाकी , लम्हों को कागज पे उतारना...!!!
अभी है बाकी...,
वक्त की खिड़कियों से दूर तक झांकना ,
कुछ.... थमना सा चाहता हूं उस पल में मैं..!!
पर...
अभी है कुछ बाकी ख्वाब मेरे....
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तुझे देखकर सब कुछ भूल जाता हूं..
तेरी एक झलक के लिए हॉस्टल से क्लास आता हूं..!!!
वैसे तो बहुत dikh जाती है Moxie's और OAT पर....,
पर तेरी सीरत se rubaru hone E-block आता हूं..!!!
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बस इतनी ही कहानी थी मेरी...
एक ये NIT कॉलेज था.. और वहां aahwaan सोसाइटी थी... !!!
एक कुछ seniors थे जो इसी उम्मीद में थे कि कल ये अच्छा नुक्कड़ कर देंगे...
एक सीनियर था जो पागल था , एक और सीनियर था जिसने अपना सब कुछ हार दिया था नुक्कड़ पर...!!!
मेरी चाय थी...मेरा पराठा था...NIT का हॉस्टल था और एक ये हमारा गला था जो हमें छोड़ चूका था..!!!
ये मेरा सीना था जिसमे अब भी आग बाकी थी..
हम नुक्कड़ कर सकते थे पर किसके लिए , हम चीख सकते थे पर किसके लिए..!!!
मेरी practice , swimming pool की road , कृष्णा दाउद sir सब मुझसे छूट रहा था..!!!
मेरे सीने की आग या तो मुझे नुक्कड़ जितवा सकती है या हरवा सकती है..!!!
पर साला अब उठे कौन , कौन फिर से प्रैक्टिस करे नुक्कड़ जीतने को , अबे इस बार जान लगाकर बस यह नुक्कड़ जीत लो...!!!
यह जो सीनियर जो मुर्दा से आंखें लिए बैठे हैं बगल में , आज भी प्रैक्टिस पर बुला ले तो महादेव की कसम कल सुबह 6:00 बजे आ जाए....!!!
पर नहीं अब साला मूड नहीं , आंखें मूंद लेने में ही सुख है , सो जाने में ही भलाई है ..!!!
पर उठेंगे कल सुबह इसी nit हॉस्टल मे , नुक्कड़ करने को.... और सिर्फ नुक्कड़ करने को ही नहीं नुक्कड़ जीतने को...!!!!!
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कोशिश तो हमने भी कई बार की है..
उनसे नजरें मिलाने की.... थोड़ा शर्माने की,
कोशिश तो कई बार की है उनको हंसाने की....
उनके मन में प्रेम दीप जलाने की...!!!!
कोशिश तो कई बार की है हमने , उनको दिलदार बनाने की...
पर हर बार उन्होंने साजिश की है हमें देवदास बनाने की...!!!!!
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it's not you it's me
it's not working
you deserve someone better....
कि जुल्फें गिरा के जब वो पलके झुकाती थी !
कि जब जुल्फे गिरा के वो पलके झुकाती थी!
सांसे तो चलती थी पर जान निकल जाती थी।
कि जब जुल्फे गिरा के वो पलके झुकाती थी....
सांसे तो चलती थी पर जान निकल जाती थी।
की उंगलियां भी तो फोन पर रुक रुक के चलती थी...
रात को मैडम बैठ कर जब हमें मैसेज किया करती थी।
पर आज पर आज....आज , उसकी यादों का मेरे पास सिर्फ खजाना है।
क्योंकि एक तरफ उनकी मोहब्बत है तो एक तरफ उनका बहाना है।
ना जाने कैसा इश्क था उनका....
ना जाने कैसा इश्क था उनका,
बिना कुछ कहे ही खफा हो गए....
हम पूरे रिलेशनशिप में उनसे वफ़ा करते रहे.... और वो बहाने देखकर बेवफा हो गए।
पर आज भी हमारी मोहब्बत का एक फसाना है... आज भी हमारी मोहब्बत का एक फसाना है , आज भी उन्हें भाभी भाभी कहकर छेड़ता जमाना है।
एक तरफ हमारी मोहब्बत है तो एक तरफ उनका बहाना है।
किस जिंदगी में खुद को इस कदर बर्बाद करता हूं....कि जिंदगी में खुद को इस कदर बर्बाद करता हूं.... बर्बाद करता हूं बर्बाद करता हूं ,
जिस दिन सतृ लगती है किसी से तुझे भुलाने की....
मैं उस दिन तुझे याद करता हूं...... तुझे याद करता हूं।
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रोज तुझे निहारते हैं...
तेरी मासूमियत को अपनी आंखों में उतारते हैं...!!!
तुझे हमेशा अपना मानते थे,
तेरे पास भेजे देश के सपने थे...!!!
सोचा ना था यह मंजर ऐसा होगा...
कुछ दिल पर खंजर ऐसा होगा...!!!
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