लोग समंदर और पहाड़ों में खुद को ढूंढने निकलते हैं। मगर जवाबों के लिए वापस घर लौटना ही पड़ता है। -
लोग समंदर और पहाड़ों में खुद को ढूंढने निकलते हैं। मगर जवाबों के लिए वापस घर लौटना ही पड़ता है।
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हमने उन्हें भी देखा जो मुस्कराते बहुत थेइश्क ने उन्हें भी रोने के बहाने दिए ॥ -
हमने उन्हें भी देखा जो मुस्कराते बहुत थेइश्क ने उन्हें भी रोने के बहाने दिए ॥
मत पूछ मुझे मैंने कितना चाहा था उसे धोखा खाया, दिल टूटा, शर्मिंदा भी हुआफिर अपना भूल बैठा दर्द जब उसने आह भरी ॥ -
मत पूछ मुझे मैंने कितना चाहा था उसे धोखा खाया, दिल टूटा, शर्मिंदा भी हुआफिर अपना भूल बैठा दर्द जब उसने आह भरी ॥
हमने लिखा उसका नाम कापी के गत्ते परबहुत चूमा फिर शर्माकर जिल्द चढ़ा दिया ॥ -
हमने लिखा उसका नाम कापी के गत्ते परबहुत चूमा फिर शर्माकर जिल्द चढ़ा दिया ॥
जब भी छुड़ाना चाहा मोहब्बत से अपना वास्तायाद तेरी सीने से, कस के बाहें, लिपट गई ॥ -
जब भी छुड़ाना चाहा मोहब्बत से अपना वास्तायाद तेरी सीने से, कस के बाहें, लिपट गई ॥
रात फिर लौट आई है बेआबरूचाँद फिर खिसया रहा हालातों पर ख्वाबों का कब्रगाह हो गया है सिरहाना देह ताबूत, नींद कफन हो गई जज़बातों पर ॥ -
रात फिर लौट आई है बेआबरूचाँद फिर खिसया रहा हालातों पर ख्वाबों का कब्रगाह हो गया है सिरहाना देह ताबूत, नींद कफन हो गई जज़बातों पर ॥
चेहरा तो बिक गया मगर जहन संभाल रखा हैसपना भी लुट रहा है मगर वहम संभाल रखा है। -
चेहरा तो बिक गया मगर जहन संभाल रखा हैसपना भी लुट रहा है मगर वहम संभाल रखा है।
हम सब के अंदर कहीं ना कहीं छुपा एक समंदर या कोई पहाड़ है। जो शहरों की दिन भर की भाग दौड़ के बीच हर रोज शाम ढलते ही याद आने लगता है। -
हम सब के अंदर कहीं ना कहीं छुपा एक समंदर या कोई पहाड़ है। जो शहरों की दिन भर की भाग दौड़ के बीच हर रोज शाम ढलते ही याद आने लगता है।
कभी-कभी हर बात जानते हुए भी खामोश रहना निर्बलता को दर्शाता है। -
कभी-कभी हर बात जानते हुए भी खामोश रहना निर्बलता को दर्शाता है।