खालीपन क्या होता है
परीवार बिना सरहद पर जब फौजी जीता है पूछना उससे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
आंखें जिसकी रहती खुलीं और बगल में रचाई चीता है पूछना उससे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
दोस्त , परिवार और बच्चों की याद में घूंट घूंट गम जो पीता है पूछना उसे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
हसकर दुख छुपाता लेकिन मन ही मन जो रोता है पूछना उसे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
अल्लाह, ईश्वर एक उसके लिए मन में राम सिता है पूछना उसे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
जब मिला एक फौजी से और पूछ लिया की
क्या लिखते बैठते हो हर वक्त तो उसने भी कह दिया
लोग समझ ना पाये ऐसे जज्बात कभी कभी कलम ही समझ पाती है।
आंखें खुली रहती है और कमबख्त रात गुजर जाती है।
करवटे बदलकर भी ना खुद सो पाते हैं ना यादें सोने देती है।
जब कर देते हैं बयान जज्बातों को पन्नो पर, बेदर्द आंखें रो देती है।
दीपक भवर पाटील-
खालीपन क्या होता है
परीवार बिना सरहद पर जब फौजी जीता है पूछना उससे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
आंखें जिसकी रहती खुलीं और बगल में रचाई चीता है पूछना उससे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
दोस्त , परिवार और बच्चों की याद में घूंट घूंट गम जो पीता है पूछना उसे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
हसकर दुख छुपाता लेकिन मन ही मन जो रोता है पूछना उसे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
अल्लाह, ईश्वर एक उसके लिए मन में राम सिता है पूछना उसे एक दिन,
कि खालीपन क्या होता है।
जब मिला एक फौजी से और पूछ लिया की क्या लिखते बैठते हो हर वक्त तो उसने भी कह दिया
लोग समझ ना पाये ऐसे जज्बात कभी कभी कलम ही समझ पाती है।
आंखें खुली रहती है और कमबख्त रात गुजर जाती है।
करवटे बदलकर भी ना खुद सो पाते हैं ना यादें सोने देती है।
जब कर देते हैं बयान जज्बातों को पन्नो पर, बेदर्द आंखें रो देती है।
दीपक भवर पाटील-
मला पतंग व्हायचयं
तुझ्यासोबत ऊंच ऊंच जायचंय
आकाशी अशी गरुड झेप घेऊन
डोळे भरून फक्त तुलाच पाहायचंय
मला अभंग व्हायचंय
स्मितहास्य बनुन तुझ्या ओठी राहायचंय
पवित्र अशा तुझ्या मन मंदीरात
दीपक बनुन सतत तेवत राहायचंय
मला अथांग व्हायचंय
समुद्रासारखं प्रेमात तुझ्या पसरत जायचंय
सैरभैर वेड्या माश्यासारखं
तुज सोबत पाण्यात डुंबत राहायचंय-
तपते रेगिस्तान में चलकर धूल आँखोंमे भरो
डरानेवाले मिलेंगे बहुत तुम इनसे ना डरो
खोलकर हाथ तुम हिम्मत को बाहों में भरो
कई आएंगे तूफान उसका सामना तो करो
तुम्हे हरानेवाला कोई नही बस तुम खुदसे ना हारो
मुश्किलों से निपट लेंगे पहले तुम शुरुवात तो करो
भगवान अपनी परीक्षाएं लेते है,थोड़ा सब्र तो धरो
कई आएंगे तूफान उसका सामना तो करो
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विकेट त्याची पडली खरी
बघताना त्याची स्वप्नपरी
बाकीचे त्याच्यावर हसले जरी
आनंद मावेना त्याच्या उरी
-
मन
मन झालंय अस्थिर त्यास नाही उरला धीर
उड्या मारतंय गोठ्यात जणू वासरू बधिर
मन अवखळ चंचल नाही कसली फिकीर
कधी असतं शांत कधी होतय अधीर
मन उधान उधान झालंय खुपच टुक्कार
विचारांच्या शर्यतीमध्ये पळत सुटलं मोक्कार
मन दुधावरची साय की दरवळणारी ती खीर
तहान भागवणारी नदी की तुडुंब भरलेली विहीर
मन होईल साधुसंत तर कधी डोंगरीचा पीर
कधी फिरे दारोदार जैसा अवली फकीर
मन होईल कनवाळू कधी असतं खंबीर
कधी करतं मस्करी कधी होतंय गंभीर
मन भुकंप भुकंप पाडी धरणीला चीर
लढण्या संकटासंगती मन बनतंय वीर
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तुम भी यारों कमाल करते हो
पास हो जाऊ तो सवाल करते हो
फेल हो जाऊ तो बवाल करते हो
और पार्टी के लिए मुझको ही हलाल करते हो।
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Physically there will nobody
But if you are positive there will be a God
And if you are negative there will be a devil-
I write because no friends are with me to argue and fight
I have to keep enemies on my eyesight
I am an armyman I have to fight
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माना की हम झुठी कसमें खाते थे
इन्हीं वादों से आपको खुश रखते थे
आपके बदले हमारी उम्र घटा लेते
इस कदर हम आप पर मरते थे.....-