जिस जिस्म का दाम हो उससे दिल नहीं लगता !!
और जहाँ जात पूछ ले वहाँ मैं दोस्ती नहीं करता !!
यहाँ हर कोई डरता है अच्छाई से क्योंकि ,
बुराई पर कोई दाग नहीं लगता !!
कोई चुरा ले एकबार नज़र हमसे ,
उन्हें देखते तो हैं पर मैं दीदार नहीं करता !!
जिस हुस्न का दाम हो उससे कभी दिल नहीं लगता !!-
ये लोग और ये दुनिया 🌍 इसलिए दुखी है क्यूंकि इनके होते हुए कोई और सुखी क्यों है ।इन्हें अपने विचार और व्यवहार दोनों ही सही लगते हैं ।दूसरों के विचार और व्यवहार इन्हें समाज की कुरीतियां लगती है ।
आज के समय में जिस इंसान के अंदर आत्मविश्वास और आत्मसम्मान नहीं है, उसे दूसरों की इज़्ज़त और सम्मान से कोई मतलब नहीं होता ।
वो लोग मानसिक पीड़ा के शिकार लोग हैं ऐसे लोग समाज के लिए घातक है ।जो लोग अपने आत्मसम्मान की रक्षा नहीं कर सकते और ख़ुद को दूसरे के सहारे से आगे बढ़ने का लालच हो वो लोग अपनी तुच्छ सोच की सहायता से अपने से बेहतर लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर सकते हैं किंतु उन्हें हरा नहीं सकते ।
इसलिए किसी ने सही कहा है -
लाज़िम है उनका मेरे किरदार पर भौंकना ,,,,,
जो लाख चाहकर भी मेरे मयार तक ना आ सका ।।।।
ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ अपने लिए घृणा और नफ़रत पैदा कर लेते हैं लोगों के दिलों में ।फिर भी हम सब में से बहुत या कहूँ तो लगभग हम सभी ऐसी मानसिकता वाले लोगों से घिरे हुए हैं ।
वो किसी ना किसी तरीके से हमें स्टॉक या अन्य तरह से नुक़सान पहुँचाते हैं और हम इसे एक झूठी सामाज की इज़्ज़त का नाम देकर ताँ उम्र ढोते हैं ।
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जको कन है बिंगी मन कद्र कोनी
जो मिल्यो कोनी बिंगो मन सब्र कोनी
कोई याद में है आज भी पर
आजकल पहला जिसो असर कोनी
कुन कह भूलनों आसान कोनी
मन आजकल मेरी ही खबर कोनी
हरेक गी कहानी में हरेक कोई आच्छो कोनी
किंग सोचन हूँ कोई आच्छो होव अतो कोई माडो भी कोनी
मैं माडो हूँ थे आच्छा इन बात में भी दम कोनी
जको कन है बिंगी मन कद्र कोनी
जो मिल्यो कोनी बिंगो मन सब्र कोनी!!!!!!!-
चारों और भीड़ ही भीड़ है
फिर भी सब अकेले हैं
सब वहाँ से दूर जाना चाहते हैं
जहां पर वो अभी हैं
सब में एक घुटन हैं
सब चिलाना चाहते हैं
अपने अंदर के शोर में बैठे हैं
बस एक सुनसान एकांत चाहते हैं
दुनियादारी भी निभानी है
और वैराग्य भी चाहते हैं
कोई सुनले उन्हें पर
कुछ सुनाना नहीं चाहते हैं
भीड़ में सब अकेले हैं
सब यहाँ से दूर जाना चाहते हैं ।।।।-
ये मुश्क़िल दिन और ये मेरी उदासी,,
कुछ ख़्वाब थे जो टूटे
पर टूटने के नहीं थे ।।
अब कैसे करे कोई सब्र,,
जो लोग बिछड़े
वो बिछड़ने के नहीं थे ।।-
अब मैं हालचाल पूछने से डरने लगा हूँ ।।
लोगों से ज़्यादा ख़ुद की फ़िकर करने लगा हूँ ।।
अगर पूछ लिया किसी ने किसी का हाल ,
शायद काम होगा जहन में ये सवाल,
अब लोग कतराने लगे हैं ।।।।।
हालचाल पूछने से पहले काम बताने लगे हैं ।।
हाल पूछ लोगे तो कौनसा अच्छा लगेगा ,
मन में सैलाब है शायद ,
इसी बहाने काम निकलवाने लगे हैं।।
कोई लगा भी दे मरहम ,
पर सबको कहाँ फबता है ।।
सब नमक लगवाने में लगे हैं ।।
अज़ीब सी हो गई है दुनिया ,
कोई बिना वजह हालचल पूछ ले तो ,
लोग उसे मूर्ख बताने लगे हैं।।
अब डरता है आदमी आदमी से
ख़ैर ,
पूछ तो लेता है हाल उसका पर
पहले उसे काम बताने लगे हैं।।-
बस थक चुके अब आराम चाहिए
एक ज़िंदगी गुमनाम चाहिए
जहाँ कोई हमें जानता न हो
पहचान ऐसी बेनाम चाहिए
रिश्ता टूटे भी तो लिहाज़ रखना
उसे न करना बदनाम चाहिए
ऊब चुका है दिल से अब
वीराने में बस क़याम चाहिए
अब न किसी से सलाम चाहिए
अब न किसी का पैग़ाम चाहिए
सबको हमनें भी माफ़ कर देना हैं
ख़ुद पर क्यों कोई इलज़ाम चाहिए
न शोहरत न एहतिराम चाहिए
मर कर बस अच्छा मक़ाम चाहिए….✍️-
अभी-अभी तो आया हूं।
जाने कहां खो गया हूं?
अभी आता हूं कह कर उसकी आंखों में इंतजार भर आया हूं।
ये करेंगे वो करेंगे जब मिलेंगे अगली बार,,
बच्चों सा बहला-फुसला कर
मैं उससे झूठे वादे कर आया हूं।
खुशियां जो अधूरी है वह अगली बार ले आऊंगा,
मगर वादे कच्चे दिल से कर आया हूं।
ये प्रेम मेरा और प्यार से मैं उसको छल आया हूं।
….𝕯𝖊𝖆𝖉𝖔𝖋𝖜𝖗𝖎𝖙𝖊✍️-
जब रात वीरानी हो जाए, जज़्बात नूरानी सो जाए,
जब जीवन रस का हर कतरा, एक बात पुरानी हो जाए,
जब उनके किस्सों के पीछे, हर एक कहानी खो जाए,
जब एक दरस की चाहत में, दिन रात जवानी रो जाए,
तब राख समान अंधेरों पे तुम एक उजाला पड़ने दो,
बस पाँच मिनट रुक जाओ तुम, एक चाय का प्याला भरने दो।।।।☕️☕️
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