क्या बात है?आजकल मुस्कुराती नहीं हो,
लगा कर आग दिल में, बुझाती नहीं हो।
यूँ तड़पा कर मुझे जो तुम्हें सुकूं मिलता था शायद...
पर क्या बात है?
आजकल यादों में आकर अब सताती नहीं हो।
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मैं तो मनचला हूँ, जिसके हाथ में कलम है,
जो जी में आत... read more
लोग बेशर्म हो चले हैं ,
आज़ादी के नाम पर।
और
आधी से ज्यादा दुनियां नंगी हो चली है ,
फैशन के नाम पर ।
अब मैं भी चरित्रवान कहाँ बचा ;
चरित्रहीन हो चला हूँ ,
फ़ैशन से लदी पुतलियाँ देखने के नाम पर ।।
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झूठ कहते हैं लोग,
जो बोओगे वही फलेगा ।
मैं ने तो गुलाब लगाया जीवन भर
एक - आध फूल बाकी
सभी डालियों पर कांटे ही लगे हैं!
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ये दुनिया भी कितनी अज़ीब है दीप
उज़ार कर बागों को,
काग़ज़ो के फूल में सुगंध ढूँढती है ।
कद्र करती नहीं जिन्दों की,
मकबरे पर नमाज़ पढ़ती है ।।
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मेरे नजरों में उन-सा कोई चेहरा नायाब नहीं है,
किसी के लिए दिल इतना बेकरार नहीं,
हालांकि कई दोस्त हैं मेरे,
पर उन-सा कोई दिल के मुत्तसिल नहीं है!!
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कुछ ने गमलो में पौधा लगया,
कई एक ने बोतलों में घास लगया,
फिर सोशल मीडिया पर फोटो लगया,
तो लोगों ने कुछ यू पर्यावरण दिवस मनाया।
यह सब देख मेरी प्रेमिका उत्साहित हो गई,
उसने अपने बलों में ना गुल नाहीं गुलदस्ता,
ब्लकि पूरे का पूरा गुलशन लगाया।
फिर मैंने सोचा कि,
मैं क्यों पीछे रहूँ भला?
मैंने भी कुछ गणित पढ़े थे,
मैंने मान लिया कि
मैंने बरगद लगया।-
कितने नादां थे हम जो
सांसो की डोर दिलों से जोड़ा करते थे।
नादानी अब छूटी है,
जब से फेफड़ों ने रूठना आरंभ कर दिया है ।
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रंजिशें तो जिंदों से होती है,
मुर्दों से कहाँ,
मुझे रंजिशें खुद से है,
ज़माने से कहाँ।
मेरी रंजिशें जानते हैं आप?
रंजिशें इसलिये नहीं है मुझे, मुझसे
कि मैं जिंदा हूँ?
ये इसलिए है कि मैं मौन हूँ!-
तू ना सही, तेरी तस्वीरों से बाते किया करता हूँ।
दीदार कर तेरी तस्वीर का दिल को तास्सली दिया करता हूँ।
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मेरे हर प्रश्न का उत्तर, हर उत्तर पर खड़ी प्रश्न है वो!
नमक सी नमकीन, चीनी की मिठास है वो।
उसे खुद नहीं पता कितनी खास है वो।
सच कहूँ, मुझे भी नहीं पता,
सपना है या सच है वो!!
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