Deep Mishra   (Deep Mishra)
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Joined 28 July 2021


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Joined 28 July 2021
23 FEB 2022 AT 20:41

तुमसे पहले "प्यार" किसी से हुआ नहीं था,
तुम्हारे बाद अब किसी से "प्यार" होगा नहीं।
दिल एक ही था जो दे बैठे थे तुम्हें पहली नज़र में,
अब न दिल है ना ही जज़्बात तो इकरार किसी से होगा नहीं।

✍️ दीप मिश्रा

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20 DEC 2021 AT 15:23

कभी कम है कभी ज्यादा,
पर दर्द तोड़ चुकी है अपनी मर्यादा।
ना ही रहा जाए ना ही जिया जाए,
ऐसी जिंदगी का भी भला क्या फ़ायदा?

✍️ दीप मिश्रा

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15 DEC 2021 AT 22:33

दिल मोहब्बत से हो या ख़ाली,
गहरे निशा छोड़ ही जाता है।
कभी मरता छोड़ जाता है तो कभी
मरने के लिए जीता छोड़ जाता है।।

✍️ दीप मिश्रा

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23 NOV 2021 AT 23:02

यकीनन तुम मेरे न सही,
पर मुझमें तुम सदा रहोगे।
बनके खुशी प्यार की,
मेरे ह्रदय में हर पल धड़कोगे।।

तुम चाहो भी तो खुदको,
मेरे मन से निकाल नहीं पाओगे।
ये रूहानी मोहब्बत है जनाब,
न हम समझा पाएंगे और न तुम समझ पाओगे।।

✍️ दीप

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3 SEP 2021 AT 23:07

तुम्हारी एक मुस्कान,
और ये कातिल निगाहें।
तारीफ में तुम्हारी,
चार चांद लगायें।।

कोई पूछे खूबसूरती क्या है?
नाम एक तुम्हारा लेंगे।
कोई पूछे चाहत क्या है?
तुम्हारी मुस्कुराहट का सजदा देंगे।।

✍️ दीप मिश्रा

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23 NOV 2021 AT 22:41

बैठे बैठे जब मन उदास हो जाए,
लाख जतन करने पे भी मन बहल न पाए।
यकीनन प्यार के मुस्कुराहट को निहार बस ले,
मन प्रफुल्लित और तन गदगद हो जाए।

ऐसी शक्ति, ऐसी ऊर्जा, ऐसी खुशी सिर्फ रूहानी प्यार में ही महसूस की जा सकती है।

कहते हैं प्यार में इंसान लाख दूर हो,
मिलन न हो और समय से भी मजबूर हो।
ऐसे में सिर्फ मन के धागे ही दूर बैठे अपने खाश से हृदय से जुड़े रहते हैं और हमेशा ही पास होने का अहसास मन में जगाते हैं।

✍️ दीप

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20 NOV 2021 AT 9:40

दुनिया रोज़ नई लगती है,
जब सूरज के उगते ही,
फिर उम्मीद की एक किरण जगती है।

दुनिया रोज़ नई लगती है,
जब दिन ढलते ही,
तारों के साथ दुनिया चमकती है।

✍️ दीप

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18 NOV 2021 AT 23:14

और बताओ! क्या कर जाऊं?
तेरी खातिर दिन और रात बन जाऊं,
आसमां से तारे जमीं पे उतार लाऊं,
तेरे सारे सपने अपनी आंखों में सजाऊं,
तू सांस ले मैं तेरी धड़कन बन जाऊं,
खुशी में तेरी हर महफिल सजाऊं,
और बताओ! क्या कर जाऊं?

✍️ दीप

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24 OCT 2021 AT 19:47

मन उदास है सोचकर उसे,
क्यूंकि वो बहुत खाश है।
बातों में जज़्बातों में हर लम्हे में,
बस एक उसका ही अहसास है।।

✍️ दीप मिश्रा

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23 OCT 2021 AT 22:47

लिख रही है चांदनी,
मौसुखी की रात।
आज होगी तेरी मेरी,
दिलकश सारी बात।।

✍️ दीप मिश्रा

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