एक अरसा हुआ ज़िन्दगी घर से निकला नही मैं
ताउम्र सिर्फ तुझे खोने के डर से निकला नही मैं— % &-
Sab kuch tha mere haq me
Shiddat, Mohabbat, Ibadat
Mere Haq me na thi to bss
Tu, tera sath or Qismat-
मैंने भी तो तेरे लिए कइयों को ठुकराया है
ये फासला शायद उन्ही की बद्दुआओं से आया है-
हमने उनकी परेशानी ख़त्म करदी है
उनकी ज़िंदगी से अपनी निशानी ख़त्म करदी है
यूँ तो शिकायतें उस ख़ुदा से भी बहोत हैं हमें
मसला ये हुआ अब गिनवानी ख़त्म करदी है-
ज़रूरी था उनका ज़िन्दगी में आना मेरी
शायर बनते कैसे जो दिल तुड़वाते नहीं
दुःख सुनके भूल जाते थे हम दूसरों का
हम महसूस कैसे करते जो वो रुलाते नहीं-
मगर क्यों आख़िर क्यों कहें तुम्हें अपना
क्या फ़र्क है तुम में ओर पराए में
तुम भी तो हँस कर धोखा कर देते हो
क्या फ़र्क है मुस्कुराहट ओर आंसू आए में-
यूँ तो तुम भी जागते हो देर रात सोये नही हो
पछताते हो दूर होकर किसने कहा रोये नही हो
आँखों से दूर हो पर आँखों मे है तस्वीर तुम्हारी
तुम मुझ में तुम बनकर रहते हो कहीं खोये नही हो-
इंतज़ार में मैं आज भी तेरे ही बैठा हूं
मोहब्बत सिर्फ तुझसे है आज भी कहता हूं
लोग आते हैं मुझे टटोलकर चले जाते हैं
इतना मैं ख़ुद में भी नहीं जितना तुझमे रहता हूं-
ख़ुद को ओर कितना रूलाऊं
तेरी यादों को शर्म नहीं कि ओर ना सताऊं
दोस्त दुखी देखना नही चाहते, माँ को दुखी नही कर सकता
अब तू ही बता किसको जाके दुख जताऊं-
वादे किए थे जैसे जन्मों का साथ होगा
मुझको है छोड़ा अब कौन मेरे बाद होगा
टूटेगा दिल तेरा भी तब एहसास होगा
तड़पेगा तू भी तन्हा ना कोई तेरे पास होगा-