deep joshi   (Deep joshi)
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Born on 13th nov.
Joined 21 October 2017


Born on 13th nov.
Joined 21 October 2017
28 APR 2022 AT 21:29

कुछ वक़्त बाद मैं जो हूं वो मैं न रहूंगा
कुछ वक़्त बाद तुम, तुम न रहोगे

कुछ वक़्त बाद मेरे चेहरे पे झुर्रियां आ जाएंगी
हां कुछ और वक्त बाद तुम्हारे चेहरे पर भी आएंगी

कुछ आदतें मेरी बदलेंगी
कुछ आदतें तुम्हारी बदल जाएंगी

इस रूप निखार को मैं छोड़ दूंगा
उस रूप निखार को तुम छोड़ जाओगी

ये मेरा तन मुझे छोड़ जाएगा
वो शरीर तुम छोड़ जाओगी

तो क्यों इस देह का मुझे अभिमान हो
क्यों उस देह पर तुमको अहंकार हो

मेरी रूह तुम्हें चाहे
तुम्हारी आत्मा मुझे चाहे

क्या इस तरह का प्यार न हो

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7 DEC 2021 AT 18:14

मैं कुछ कह न सका

कितना चाहता था तुझे
कितनी मोहब्बत थी तुझसे
कितने अल्फ़ाज़ भरे थे मन में।
एक दौर तेरे बिन रह न सका
हैं बहोत वो बातें, जो मैं कह न सका।

कितना पाना चाहा तुझे
कितनी चाहत थी तुझसे
कितने जज्बात भरे थे जहन में।
तुझसे दूर रहना सह न सका।
हैं बहोत वो बातें, जो मैं कह न सका।

कितना प्यार भरा था मन में,
कुछ ख्वाब समेटे थे नयन में।
क्या हालात किये थे अपने
मलाल आज भी न जाने क्यों है
कि मै कुछ कह न सका।

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15 OCT 2021 AT 19:34

इंसान की मोहब्बत बदलती रहती है
शाला दिल वहीं रह जाता है।

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14 OCT 2021 AT 21:04

अब मैं उसको नहीं
किसी और को लिखुंगा
अब मैं उसको नहीं
किसी और को चाहूंगा

अब मैं उसके सपने नहीं
किसी और के बुनूँगा।
अब मैं वहाँ नहीं
कहीं और रूकूंगा।

एक इंसान का प्यार ना मिला
किसी और को प्यार करूँगा
उस जगह नहीं ठहर नहीं पाया
अब कहीं और रूकूंगा।

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14 OCT 2021 AT 20:51

Hum dono intimate hue.
Par s*x nahin kiya.

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31 MAR 2021 AT 16:25

हर शौक पूरा कर लिया, एक दौर अकेला चल दिया
तेरी तलब अब तक न मिटी, हूँ हर मानुष से मिल लिया

तू असल में है न सही, पर ख्वाब तेरा भी बुन लिया
हूँ अब भी खड़ा उन राहों में, जिन्हें छोड़ तू चल दिया



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20 NOV 2020 AT 12:10

कई दिन बीते कुछ न लिखा।।
कुछ दिन बीते दिल न दुःखा।।

बीते दिनों काफी कुछ ऐसा दिखा।
मानो जिंदगी जीने का हुनर सीखा।

कुछ चेहरों का पर्दा हटा।
कुछ चेहरों में अपनापन दिखा।

अब मिला लिखने का मौका।
जब भीगे मन का आंगन सूखा।

कई दिन बीते कुछ ना लिखा ।।
कुछ दिन बीते दिल न दुःखा।।

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26 JUL 2020 AT 8:53

मिले जो कल रास्ते में तुम, तो हैरत ही न थी।

मिले तो थे तुम उन चेहरों में, जो मिले थे मुझे राहों में।
मिले तो थे तुम बच्चों की मुस्कान में, उनकी हंसती आंखों में।

मिले तो थे तुम उस चाँद में, उसकी चमचमाती चाँदनी में
मिले तो थे तुम आज सुबह में, जागते सूरज की किरणों में।

मिले तो थे तुम हर बरसात में, उसकी टिप-टिप गिरती बूंदों में।
मिले तो थे तुम उन पंछियों में, उनकी चह-चहाती आवाज़ों में।

मिले तो थे तुम बहती हवा में, उसकी मस्त फिजाओं में
मिले तो थे तुम उन फूलों में, जो खिल-खिलाए थे बागों में।

मिले जो कल रास्ते में तुम, कोई हैरत ही न थी।

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19 JUN 2020 AT 22:40

अजीब कलाकार था
पढ़ाई का उसे क्रेज था
उसके मुख पर तेज था

छोटी उम्र में सारे काम कर गया
कुछ दिनों में अपना नाम कर गया
जिंदगी नोचते कुछ दरिंदों से वो डर गया।
डर को ना मार पाया और खुद मर गया।


देखने के लिए वो बहुत कुछ दिखा गया
सुनने के लिए वो बहुत कुछ सुना गया।
कहने के लिए वो बहुत कुछ कह गया।

उसका ग़म उसके मन में ही रह गया।
कुछ न कह पाया वो सब कुछ सह गया।
पूरा करेंगे काम उसका जो अधूरा रह गया।

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2 JUN 2020 AT 17:39

जब कभी भी मैं आधी नींद से जग जाता हूँ
तो मुझे ये महसूस होता है कि
अभी अभी मैं तुमको खोकर आया हूँ।

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