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Kya??-
दिल्लगी क्या कर बैठे
फूल था ये दिलो
पत्थर कर बैठे
बात चाहे न भी हो लेकिन कुछ शकश हमारी
जिंदगी में फिर भी खास होते हैं-
जिंके पास समज और परिवार हो
वो अकेला नहीं होता
और जहा भीड ना हो
वो मेला नहीं होता-
मन्नत में मांगे भी ठुकरा देते हैं लोग
खुदा पे भी उनगली उठा देते हैं लोग-
काश तुम मेरे होते
रुशनाता मेरे दिल का घर
उसमे कभी ना अंधेरे होते-
जिंदगी से हारे हैं हम
ना जाने कितने गम सहारे
है हम जिस दिन से किये
आपने रास्ते अलग
उस वक्त से किस्मत हारे हैं हम-
ये दिल की बात दिल में
शुपा लेंगे
ये गरीब लोग साहब
अमीर को कैसे चा लेंगे-
हम बादशाह है पुण्य के
किसी पाप के नहीं
हम गुलाम है मौत के
किसी के बाप के नहीं-