किस्मत यह मेरा इम्तेहान ले रही है ,,
तड़प कर यह मुझे दर्द दे रही है ,,
दिल से कभी भी मैंने उसे दूर नहीं किया ,,
फिर क्यों बेवफाई का वह इलज़ाम दे रही है !!!— % &-
एक कबर पर लिखा था ,,
किसको क्या इल्जाम दूं दोस्तो ,,
जिंदगी में सताने वाले भी अपने थे ,,
और दफनाने वाले भी अपने थे !!!— % &-
नफ़रत तो हम अपने ,,
दुश्मनों से भी नहीं करते ,
तुम तो फिर भी वो हो ,,
जिसे हमने अपना ख़ुदा माना था!!!-
बिना नक्शे के भी पंछी ,,
पहुँच जाते हैं ,,
अपने मुकाम तक ,,
एक हम इंसान हैं कि ,,
दिल से दिल तक भी ,,
पहुँचने में नाकाम रहते है!!!-
उसको मैंने रोते देखा ,,
खुदा मैंने ये क्या देखा ,,
अश्कों की वजह मैं था ,,
मैंने खुद को गुनहगार देखा ,,
बेबस आंखें यह देख भीग गई ,,
जिंदगी ने ये क्या क्या देखा !!!-
Mere Na Ho Sake ,,
To Kuch Aisa Kardo ,,
Main jaisa tha ,,
Phir Mujhe Vaisa Kar do‼️-
चल आ तेरे पैरों पर ,,
मरहम लगा दूँ ,,
ए मुकद्दर ,,
कुछ चोट तुझे भी ,,
आई होगी ,,
मेरे सपनों को ठोकर ,,
मार कर !!-
कोशिश कर रहा हूँ ,,
की कोई मुझसे न रूठे ,,
जिन्दगी में अपनों का साथ न छूटे ,,
रिश्ते कोई भी हो उसे ऐसे निभाऊं ,,
कि उस रिश्ते की डोर ,,
ज़िन्दगी भर न छूटे !!-
उजड़ा उजड़ा सा ,,
हर शहर लगता है ,,
हमें तो ये ,,
कुदरत का कहर लगता है ,,
इंसान ने की ,,
ऐसी भी क्या तरक्की है ,,
इंसान को ,,
इंसान से ही डर लगता है !!
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भीगी हुई इक शाम की ,,
दहलीज़ पे बैठे ,,
हम दिल के सुलगने का ,,
सबब सोच रहे हैं !
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