15 FEB 2018 AT 16:01

माँ के बारे मे क्या लिखूं, माँ ने ही मुझे लिखा है;
जो कुछ भी है अच्छा मुझमे सब उनसे ही सीखा है।

नींद ना आने पर मुझको, माँ मेरी रात भर जगती थी;
दिया जलाकर हर रोज प्रभु से, वो मेरे लिए खुशियां मांगती थी।

कुछ गलती करने पर मेरे, वो मुझपे थोड़ा ग़ुस्सा जताती थी;
फिर थोड़ी देर बाद हाथ फैर कर सर पे, वो मुझे प्यार से समजाती थी।

पहनकर खुद कपडे पुराने, वो मुझे नए कपडे पहनाती थी;
उठाकर अपनी गोद में प्यार से, वो मुझे खुशी से आँगन में टहलाती थी।

देखकर तकलीफ में मुझको, आँख उसकी भर आती थी;
रात को सुलाने के लिए मुझे, वो प्यार से लोरी गाती थी।

माँ के बारे में क्या लिखूं , माँ ने ही मुझे लिखा है;
और क्या कहु माँ के बारे में, मुझे तो भगवान मेरी माँ में ही दिखा है।

- growing_writer....✍